झारखंड में अब अगर नक्शा पास कराना है तो इसके लिए खतियान होना जरूरी है| जी हां, बिना खतियान के नक्शों को मंजूरी नहीं दी जाएगी| इससे संबंधित एक पत्र नगर विकास विभाग द्वारा सभी निकायों के नगर आयुक्तों, नगर परिषद व नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारियों और क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के सचिवों को भेजा गया है|
पत्र में ये कहा गया है कि राज्य में लागू बिल्डिंग बाईलॉज के मुताबिक नक्शा स्वीकृति के लिए म्यूटेशन रसीद व रजिस्टर्ड सेल डीड के साथ संबंधित जमीन का खतियान भी अनिवार्य है| बिना इन तीन कागजातों के नक्शे को स्वीकृति नहीं दी जाएगी|
इस मामले में रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार ने राज्य सरकार से दिशा-निर्देश मांगा था| आरआरडीए ने कहा था कि इन कागजातों की अनिवार्यता से कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है| कई बार खतियान फटे होने, म्यूटेशन रिकॉर्ड व सेल डीड के आधार पर सीएनटी एक्ट की जमीन की बिक्री पूर्व में सामान्य जाति का होने, खतियान में गैर मजरूआ भूमि दर्ज होने और सामान्य जाति के नाम से नक्शा जमा करने जैसे मामलों में नक्शों को स्वीकृति संभव नहीं हो रही है|
दरअसल, आरआरडीए ने केवल म्यूटेशन और रजिस्टर्ड डीड के आधार पर नक्शों को स्वीकृति देने का आग्रह किया था| इस पर राज्य सरकार ने महाधिवक्ता की सलाह मांगी थी| महाधिवक्ता ने बिल्डिंग बाइलॉज और सीएनटी एक्ट के प्रावधान के तहत नक्शा पास करने के लिए रजिस्टर्ड डीड, म्यूटेशन और खतियान का होना आवश्यक बताया| महाधिवक्ता से मिली सलाह के बाद सरकार ने आरआरडीए का आग्रह ठुकरा दिया औऱ सभी निकायों व क्षेत्रीय विकास प्राधिकारों को इसकी सूचना देते हुए निर्देशित किया है|
उधर, आरआरडीए ने ये भी कहा था कि जमीन का मालिकाना हक का मामला व्यवहार न्यायालय से संबंधित है| मूलत: नक्शों की जांच, मास्टर प्लान, शहरी प्रबंधन व विकास आदि विषयों पर तथ्यपरक विचार से संबंधित है| जमीन का म्यूटेशन उसके मालिकाना हक की जांच होने के बाद ही किया जाता है, आरआरडीए को मालिकाना हक तय करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है| ऐसे में पूर्व में तय नियमों पर पुनर्विचार करने के बाद केवल म्यूटेशन के आधार पर तकनीकी पदाधिकारियों द्वारा नक्शों की तकनीकी जांच के बाद स्वीकृति दी जानी चाहिए|