रांची: कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फटकार लगायी है. हाईकोर्ट की ओर से कहा गया है कि आरोपियों के खिलाफ एंटी करप्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है, तो उन्हें विशेष अदालत में क्यों नहीं पेश किया गया. क्यों इस मामले की सुनवाई निचली अदालत में की जा रही है. दरअसल हाईकोर्ट ने सीआईडी के अधिकारियों को जम कर फटकार लगाते हुए कहा है कि सीजेएम के पास इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार ही नहीं है. ऐसे में कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि एंटी करप्शन एक्ट के तहत दर्ज किये गए मामले को विशेष अदालत में पेश किया जाए. जज तीर्थंकर घोष इतने में भी नहीं रूके उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा- हावड़ा के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट भी कैसे इस मामले में सुनवाई कर सकते हैं? इस मामले के आते ही उन्हें पहले ही इसे विशेष अदालत में भेज देना चाहिए था.
शुक्रवार को भी होगी जमानत पर सुनवाई..
वहीं, सीआईडी के अधिवक्ता ने तीनों आरोपियों पर नयी धारा भी जोड़ने के लिए आवेदन किया है. सीआईडी की ओर से आईपीसी की धारा 467 को जोड़ने का आवेदन किया गया है. इस मामले की जानकार की मानें तो इस धारा के तहत यदि दोष साबित होता है तो आरोपियों को अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा सुनाई जा सकती है. लेकिन, अबतक जो मामला दर्ज है उसके अनुसार सात वर्षों तक की सजा ही मिल सकती है. फिलहाल, जमानत पर हाईकोर्ट शुक्रवार को भी सुनवाई करेगी. गुरुवार तक कोई फैसला नहीं सुनाया गया है.
क्या है पूरा मामला..
गौरतलब है कि 30 जुलाई को हावड़ा जिला के पांचला में झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगारी और राजेश कच्छप समेत पांच लोगों को 49 लाख रुपये नकद के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया था. जिसके बाद बंगाल पुलिस इस मामले की शुरूआती जांच कर रही थी. बाद में इसे सीआईडी को सौंप दिया गया. तीनों आरोपियों ने सीबीआई से जांच करवाने की मांग भी की थी. उनका आरोप था की राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें फंसाने की साजिश की गयी है.