झारखंड के खूंटी में पत्थलगड़ी आंदोलन को हवा देने वाली बबीता कच्छप समेत तीन नक्सलीपुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं|बबीता कच्छप के साथ पकड़े गये दो लोगों में सामू ओरैया और बिरसा ओरैया शामिल है|इन्हें गुजरात पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा गिरफ्तार किया गया है| गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन ने शुक्रवार को गुजरात में हुए बेलोसा बबीता कच्छप की गिरफ्तारी की सूचना फेसबुक पर दे दी थी|
जानकारी के मुताबिक, झारखंड में आदिवासियों को भड़काने वाले ये तीनों अब गुजरात में आदिवासियों को राज्य सरकार के खिलाफ उकसाने की कोशिश कर रहे थे|बबीता, सामू और बिरसा झारखंड के रहने वाले हैं साथ ही तीनों कई दिनों से यहां वांछित हैं|
गुजरात के एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) ने बताया कि सामू और बिरसा ओरैया को आदिवासी बहुल टोपी जिले के वयारू तालुका से गिरफ्तार किया गया है|वहीं बबीता को महीसागर जिले के संतरामपुर तालुका से गिरफ्तार किया गया है|इन तीनों पर भारतीय दंड संहिता के राजद्रोह और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है|
ज्ञात हो कि खूंटी में पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प के बाद से ये लोग पुलिस से छुपते फिर रहे थे|वर्ष 2018 की शुरुआत में झारखंड के कई आदिवासी इलाकों में पत्थलगड़ी की मुहिम छिड़ गयी थी|बिरसा मुंडा की धरती खूंटी और आसपास के आदिवासी इलाकों में बबीता कच्छप, यूसुफ पुर्ति और उसके साथियों ने पत्थलगड़ी कर ‘अपना शासन, अपनी हुकूमत’ की मुनादी कर दी थी|ये लोग ग्राम सभाएं आयोजित कर कई किस्म का फरमान जारी करने लगे थे|
स्वशासन की मांग को लेकर इन लोगों ने भारत सरकार के कानून और दस्तावेजों को अवैध बता दिया|इस क्रम में उन सब ने अपने आधार कार्ड और राशन कार्ड जला दिये|वहीं खूंटी के तत्कालीन सांसद और लोकसभा के उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा के गार्डों को सांसद के आवास से उठाकर, उन्हें बंधक बना लिया|जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गार्डों को मुक्त कराया था|
फरवरी, 2018 में ही अड़की के कुरूंगा गांव में पारंपरिक हथियारों से लैस ग्रामीणों ने कई घंटे तक पुलिस के जवानों को रोके रखा था|उस वक्त के जिले उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक ने मौके पर पहुंचकरव लोगों को समझा-बुझाकर मामले को शांत करवाया| कुछ गांवों में सीआरपीएफ के सर्च ऑपरेशन को भी बाधित करने की कोशिश की गयी थी|
वहीं पुलिस ने अपनी कार्रवाई में दर्जन भर ग्राम प्रधानों, आदिवासी महासभा के नेताओं और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था|