यदि आप कोविड पॉजिटिव हैं और होम आइसोलेशन में हैं तो आपको अपने स्वास्थ्य की नियमित मॉनीटरिंग खुद करनी होगी। होम आइसोलेशन के दौरान नियमित रूप से शरीर के तापमान, ऑक्सीजन सेचुरेशन व सांस की गति की जांच करते रहें। खुद के इलाज (सेल्फ मेडिकेशन) से बचें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज व उनके परिजनों के लिए संशोधित दिशा निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि बिना लक्षण व हल्के लक्षण वाले मरीज होम आइसोलेशन में स्वास्थ्य की मॉनीटरिंग करते रहें। अन्य बीमारियों की जो दवा चल रही है, उसे चालू रखें। यदि पारासिटामोल की रोज अधिकतम चार खुराक के बाद भी बुखार कंट्रोल नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टरी परामर्श के बगैर खून जांच, एक्स रे आदि न कराएं।
सात दिन बाद जांच जरूरी नहीं..
गाइडलाइन में कहा गया है कि होम आइसोलेशन में मरीज व परिजन कोविड सुरक्षित व्यवहार का पालन करें। पॉजिटिव पाए जाने के बाद यदि सात दिनों तक आइसोलेशन में रह चुके हैं और उन्हें बीते तीन दिनों से बुखार नहीं है तो उन्हें दोबारा कोविड जांच कराने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसके बाद भी उन्हें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
ऑक्सीजन सेचुरेशन 93 से कम हैं तो नजरअंदाज नहीं करें..
स्वास्थ्य विभाग ने होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए बुधवार को कई निर्देश जारी किए हैं। इसमें स्पाष्ट उल्लेख किया गया है कि होम आइसोलेशन में रहने के दौरान यदि आपको तीन दिनों से हाई फीवर (100 डिग्री से ज्यादा) आ रहा है। सांस लेने में परेशानी है। ऑक्सीजन सेचुरेशन 93 प्रतिशत से कम आ रहा है। सांस की गति प्रति मिनट 24 से ज्यादा है। सीने में दर्द व दबाव महसूस हो रहा है, थकान व मांसपेशियों में दर्द है एवं मेंटल कन्फूजन की स्थिति है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करें। अविलंब डॉक्टर से संपर्क करें। यह स्थिति खतरनाक हो सकती है।
मरीजों की नहीं हो रही निगरानी..
राज्य में कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने राज्य के सभी उपायुक्तों को दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि होम आइसोलेशन की अनुमति जिला प्रशासन मरीज के स्वास्थ्य की स्थिति एवं घर की सुविधाओं का मूल्यांकन करने के बाद देगा। जो भी मरीज होम आइसोलेशन में रखे जाएंगे, जिला प्रशासन के द्वारा कॉल सेंटर एवं विशेष दल के द्वारा होम विजिट के माध्यम से प्रतिदिन उसकी मॉनिटरिंग की जाएगी, लेकिन राज्य में बगैर स्वास्थ्य मूल्यांकन के जहां अधिकांश मरीज होम आइसोलेशन में रह रहे हैं। वहीं जिला प्रशासन द्वारा उनकी मॉनीटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। किसी भी मरीज को विशेष दिल के माध्यम से तो दूर कॉल सेंटर के माध्यम से भी निगरानी नहीं की जा रही है।
मरीजों को नहीं जा रही कोई कॉल, ना ही मिल रहा होम आइसोलेशन किट..
अपर मुख्य सचिव ने सभी उपायुक्तों को होम आइसोलेशन के मरीजों को होम आइसोलेशन किट भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, लेकिन राज्य में इसकी व्यवस्था भी फेल है। प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि होम आइसोलेशन के मरीजों से जिला प्रशासन संपर्क तक नहीं कर रहा है। सभी मरीजों को उनके हाल पर छोड़ दिया जा रहा है, जबकि नियमत: मरीजों से रोज बातचीत कर उनका हालचाल जानना है। इससे लिए एक डेडिकेटेड कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है।