झारखण्ड के विभिन्न निर्वाचन शाखाओं में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को राज्य सरकार द्वारा आउटसोर्स करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए राज्य सरकार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से 2 मार्च को विभागीय निविदा भी प्रकाशित की गयी है।
आउटसोर्स किये जाने से नौकरी को लेकर चिंतित पूर्वी सिंहभूम निर्वाचन शाखा के कंप्यूटर ऑपरेटरों ने प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता व पूर्व विधायक कुणाल सारंगी से सोमवार को मुलाक़ात की और न्यायहित में सहयोग देने के लिए आग्रह किया। जिला निर्वाचन कंप्यूटर ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष सुमंत कुमार बागती की अगुआई में निर्वाचन शाखा के कंप्यूटर ऑपरेटर ने पत्र सौंपकर मामले में राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
इस पर भाजपा प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने मुख्यमंत्री आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से निकली आउटसोर्सिंग की निविदा पर रोक लगायें और सहानुभूति पूर्वक पुनर्विचार करें। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता ने सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को अविवेकपूर्ण एवं अन्याय बताते हुए कहा है कि वर्ष 2006 से राज्य में निर्वाचन कार्यों से जुड़े विभिन्न कार्यालयों यथा जिला निर्वाचन कार्यालय, निर्वाचन निबंधक पदाधिकारी कार्यालय एवं सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी कार्यालय में कार्यरत सैकड़ों कर्मियों के समक्ष आउटसोर्सिंग के कारण नौकरी के अस्तित्व को लेकर संकट आन पड़ी है।
उक्त कर्मी साल 2006 से हर महीने नियमित पारिश्रमिक राशि प्राप्त करते हैं। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार वर्तमान तक हर महीने 26300 रुपये पारिश्रमिक वेतन मिलता है। राज्य सरकार द्वारा आउटसोर्स किये जाने पर बड़ी तादाद में कर्मचारियों की छँटनी तय है। टेंडर के शर्तों के मुताबिक 45 वर्ष की आयु के कर्मियों को सेवामुक्त करने का प्रावधान है। साथ ही आउटसोर्स कर्मियों को प्रतिमाह मात्र 14 से 18 हज़ार रुपये पारिश्रमिक भुगतान करने की शर्त निर्धारित की गई है। इस मामले पर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने कहा कि जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष निर्वाचन कार्यों में समर्पित करने के बावजूद सरकार कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।