झारखंड के शिक्षाविद गिरधारी राम गौंझू को मरणोपरांत भारत सरकार ने दिया पद्मश्री..

झारखंड के प्रख्यात शिक्षाविद नागपुरी साहित्यकार और संस्कृति कर्मी गिरधारी राम गौंझू को मरणोपरांत पद्म श्री अवॉर्ड से नवाजा गया है। केंद्र सरकार की ओर से गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इसकी घोषणा की गई। गौंझू का निधन पिछले साल अप्रैल महीने में हुआ है। झारखंड के प्रमुख रचनाकारों में डॉ. गिरधारी राम गौंझू का नाम शुमार था। वह हिंदी और नागपुरी भाषा के मर्मज्ञ थे। उनकी रचना में झारखंड की संवेदना सहज ही झलकती थी। डॉ. गिरधारी राम गौंझू का जीवन संघर्ष पूर्ण था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा खूंटी में करने के पश्चात एमए, बीएड एलएलबी व पीएचडी की शिक्षा दीक्षा ली।

सरल और मिलनसार स्वभाव वाले डॉक्टर गौंझू का जन्म पांच दिसंबर 1949 को खूंटी के बेलवादाग गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम इंद्रनाथ गौंझू व मां का नाम लालमणि देवी था। ये रांची के हरमू कॉलोनी में रहते थे। डॉ. गौंझू रांची विवि स्नातकोत्तर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग में दिसंबर 2011 में बतौर अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए। डॉ गौंझू एक मंझे हुए लेखक रहे। इनकी अब तक 25 से भी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा कई नाटकें भी लिखी हैं।

सांस्कृतिक गतिविधियों में काफी सक्रिय रहे..
डॉ. गिरिधारी राम गौंझू सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में काफी सक्रिय रहते थे। झारखंड की कला संस्कृति के क्षेत्र में गिरधारी राम गौंझू एक ऐसा नाम थे, जिन्होंने झारखंड की कला संस्कृति को एक मुकाम दिया। किसी भी कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति जरूर होती थी।

पत्रिकाओं का संपादन भी किया..
उनकी प्रकाशित रचनाओं में कोरी भइर पझरा, नागपुरी गद तइरंगन, खुखड़ी- रूगडा, सहित अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में उनकी लिखने प्रकाशित होती रही हैं। नागपुरी त्रैमासिक पत्रिका गोतिया के कार्यकारी संपादक रहे। अखरा निंदाय गेलक नाटक रचना झारखंड के ज्वलंत समस्या पलायन जैसे संवेदनशील विषय को लेकर प्रकाशित किया गया था, जो काफी लोकप्रिय और जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में पाठ्यक्रम के रूप भी शामिल है।

रांची यूनिवर्सिटी में खुशी की लहर..
मरणोपरांत उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ कामिनी कुमार, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ सत्यनारायण मुंडा, रांची विश्वविद्यालय के जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के समन्वयक डॉ हरि उरांव, डॉ उमेश नंद तिवारी, डॉ वीरेंद्र कुमार महतो समेत अन्य शिक्षाविदों और साहित्यकारों ने खुशी जताई और इसे राज्य के लिए गर्व का विषय बताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *