पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के खिलाफ़ मुकदमें वापस लेने की कवायदें शुरु, 1 मामले की सजा काट चुके हैं..

रांची: झारखण्ड सरकार की ओर से पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के खिलाफ़ उन 2 मामलों को वापस लेने की कवायदें शुरू कर दी गयी हैं जिनमें उन्हें सजा सुने जा चुकी हैं| दोनों में से एक मामले में साव सजा भी काट चुके हैं| दुसरे मामले में वह जमानत पर बाहर हैं| सीआरपीसी के नियमों व प्रावधानों के अनुसार जिन मामलों में अभियुक्तों को सजा सुनाई जा चुकी हो, वैसे मुकदमें सरकार वापस नहीं ले सकती| गृह विभाग के अपर सचिव धनेश कुमार ने डीसी को पत्र लिख कर योगेन्द्र साव के खिलाफ़ केरेडारी थाने में दर्ज कांड संख्या 55/10 और गिद्दी थाने में दर्ज कांड संख्या 55/11 को वापस लेने के बारे में राय मांगी है। एनटीपीसी के तत्कालीन जीएम राघवेन्द्र कुमार सिंह ने योगेन्द्र साव व अन्य लोगों के खिलाफ़ मारपीट समेत अन्य कई आरोपों में केरेडारी थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी| दूसरी प्राथमिकी रामगढ़ स्पंज आयरन फैक्ट्री के मेनेजर वीरेन्द्र कुमार राय द्वारा दर्ज करायी गयी थी| इस मामले में योगेन्द्र साव पर पांच लाख रूपये रंगदारी मांगने के आरोप लगे थे| पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट के आधार पर सक्षम न्यायालयों द्वारा दोनों मामलों में योगेन्द्र साव को सज़ा सुनाई गयी थी|

न्यायलय के फैसले से पहले ले सकती है राज्य सरकार केस वापस:
सीआरपीसी की धारा 321 के अनुसार राज्य सरकार के पास यह अधिकार है कि वह न्यायालय में चल रहे मुक़दमे को जनहित में वापस ले सकती है| मगर इस अधिकार का इस्तेमाल न्यायालय के फैसला सुनाने से पूर्व ही राज्य सरकार को करना होता है| इस नियम के बाद भी गृह विभाग ने हज़ारीबाग डीसी से पत्र लिख कर राय मांगी है| पूर्व में भी योगेन्द्र साव के खिलाफ़ बड़कागाँव थाने में दर्ज 7 मामलों की वापसी के मामले में लोक अभियोजक से राय मांगी गयी थी| जिसपर लोक अभियोजक द्वारा असहमति जताई गई थी| वर्तमान में सातों मामले वापस लेने का निर्णय राज्य सरकार के पास विचाराधीन हैं|

गिद्दी थाने में दर्ज मामले ( 55/11 ) में काट चुके हैं ढाई साल की सजा :
रामगढ़ स्पंज आयरन फैक्ट्री के मैनेजर वीरेंद्र कुमार राय द्वारा 25 अगस्त 2011 को योगेंद्र साव व रणधीर गुप्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी| उनके ऊपर फैक्ट्री के मालिक महावीर प्रसाद रुंगटा से पांच लाख रुपये रंगदारी मांगने का आरोप लगाया गया था| पुलिस की जांच के बाद 31 अक्तूबर 2011 को चार्जशीट दायर किया था. इस मामले की सुनवाई हजारीबाग स्थित एडीजे के न्यायालय हुई थी|

29 जनवरी 2015 को न्यायालय का फैसला सुनाया गया था जिसमे दोनों अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए ढाई-ढाई साल के कारावास की सजा सुनायी गयी थी| इस फैसले के खिलाफ़ योगेंद्र साव ने सुप्रीम कोर्ट तक अपील की थी| सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए निचली अदालत की सजा को बरकरार रखा और दोनों को सरेंडर करने का आदेश दिया| इस आदेशानुसार योगेंद्र साव ने न्यायालय मे सरेंडर किया और ढाई साल की सजा पूरी कर ली|

केरेडारी थाने में दर्ज मामले में (55/10) हुई थी एक साल की सजा:
एनटीपीसी के तत्कालीन जीएम राघवेंद्र कुमार सिंह द्वारा 17 अगस्त 2010 को तत्कालीन विधायक योगेंद्र साव व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी| उनपर एनटीपीसी कार्यालय के उद्घाटन समारोह के दौरान अपने समर्थकों के साथ हंगामा व मारपीट करने का आरोप लगाया गया था| पुलिस ने मामले की जांच करने के बाद 30 अप्रैल 2011 को चार्जशीट दायर की थी|

मामला न्यायालय पहुँचने के बाद न्यायिक दंडाधिकारी आरती माला द्वारा 23 मई 2015 को योगेन्द्र साव को 1 साल की सजा सुनाई गयी थी| निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ़ साव ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी| इसपर न्यायमूर्ति न्यायाधीश आर मुखोपाध्याय की अदालत ने सुनवाई के बाद योगेंद्र साव को जमानत देते हुए 10-10 हजार के दो मुचलकों पर रिहा करने का आदेश दिया था| साथ ही छह महीने बाद फिर से इस मामले को पेश करने का निर्देश भी दिया गया था| वर्तमान में यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है|