झारखंड हाईकोर्ट ने निजी वाहन चलाने के लिए ई-पास की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सुनवाई के बाद आज गुरुवार को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि करोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पॉलिसी बनाई है। ई-पास लेकर आवागमन की इजाजत दी है। कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।
गौरतलब है की इस संबंध में राजन कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार के इस आदेश से निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है तथा स्वतंत्र आवागमन में बाधा उत्पन्न करता है। आज प्रार्थी का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने अदालत को बताया कि कि ई-पास बनाने की प्रक्रिया काफी जटिल है और लोगों की निजता का उल्लंघन भी है। इसके अलावा जरूरी समान जैसे, दूध, फल, सब्जी सहित अन्य खाद्य सामग्री के लिए ई-पास रोजाना बनाना संभव नहीं है।
इस पर सरकार की ओर से भी कहा गया कि जरूरी समान के लिए दो-पहिया वाहन की जरूरत नहीं है। पैदल भी दूध, सब्जी की खरीदारी की जा सकती है। इसके बाद कोर्ट ने भी इस पर सहमति जताई और और याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि ई-पास जरूरी है। सब्जी और दूध लाने के लिए मोटरसाइकिल से जाने की जरूरत नहीं है। लोग पैदल चलकर भी यह काम कर सकते हैं। राज्य सरकार का यह कदम कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए उठाया गया है। सरकार का यह नीतिगत निर्णय है।
बता दें कि सरकार ने सुरक्षा सप्ताह (लाकडाउन) में घर से निकलने के लिए ई-पास अनिवार्य कर दिया है। इसके बिना बाहर निकलने पर पुलिस जुर्माना वसूल रही है।