आज थम जाएगा दुमका व बेरमो विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार का शोर, 3 नवंबर को वोटिंग..

झारखंड की दुमका और बेरमो विधानसभा सीट के लिए 3 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होना है। दोनों ही सीट के लिए प्रत्याशियों ने अपने-अपने स्तर से पूरा दमखम लगा दिया है| हालांकि इस बार दोनों ही सीटों पर कोई तीसरा कोण नहीं बन सका। एक तरफ दुमका में भाजपा और झामुमो में जबकि बेरमो में भाजपा व कांग्रेस के बीच टक्कर होने जा रही है।

दुमका में भाजपा ने लुईस मरांडी को मैदान में उतारा है वहीं झामुमो ने मुख्यमंत्री के भाई बसंत सोरेन को उम्मीदवार बनाया है। उधर, बेरमो विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेंद्र सिंह के बेटे जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह और भाजपा के योगेश्वर महतो बाटुल आमने-सामने हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अनूप सिंह की ये पहली पारी है, जबकि, भाजपा के योगेश्वर महतो यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं।

क्यों हो रहा दो सीटों पर उपचुनाव..
दुमका विधानसभा सीट झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के त्यागपत्र के बाद खाली हो गई थी|दूसरी तरफ, बेरमो में कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन से सीट रिक्त होने के कारण उपचुनाव हो रहे। दोनों सीटों के लिए 3 नवबंर को मतदान होगा तथा 10 नवंबर को मतगणना होगी।

दुमका विधानसभा सीट के लिए भाजपा ने डॉ लुईस मरांडी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में डॉ. लुईस मरांडी ने दुमका सीट पर ही झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मात दी थी। इसके बाद वो रघुवर दास की सरकार में पांच साल तक कैबिनेट मंत्री रहीं। लेकिन, पिछले साल दिसंबर, 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में डॉ लुईस मरांडी, हेमंत सोरेन से चुनाव हार गईं थीं। अब एक बार फिर डॉ लुईस मरांडी मैदान में हैं, हालांकि इस बार उनका मुकाबला झामुमो के बंसत सोरेन से है।

बेरमो विधानसभा क्षेत्र का चुनाव भी इस बार बेहज दिलचस्प होगा। यहां कांग्रेस के अनूप सिंह व भाजपा के योगेश्वर महतो बाटुल के बीच कांटे की टक्कर है। बाटुल बेरमो में वर्ष 2005 और 2014 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे|दिसंबर, 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के राजेन्द्र प्रसाद सिंह, बाटुल को शिकस्त देकर बेरमो से विधायक चुने गए थे।इसके बाद भाजपा ने एक बार फिर बाटुल को अपना प्रत्याशी बनाया है।

हेमंत, बाबूलाल व दीपक के प्रभाव की होगी जंग..
दोनों ही सीटों के प्रत्याशियों के साथ-साथ ये उपचुनाव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। बाबूलाल के भाजपा में आने तथा विधायक दल का नेता बनने और दीपक प्रकाश के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला उपचुनाव है। दूसरी तरफ,हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के एक साल के अंदर झामुमो और कांग्रेस के गढ़ में कोई पहला उपचुनाव हो रहा है। इस तरह उपचुनाव में तीनों के प्रभाव की जंग भी होगी।

प्रचार करने नहीं पहुंचे कोई राष्ट्रीय नेता..
अब आज एक नवंबर की शाम को दुमका और बेरमो उपचुनाव को लेकर प्रचार थम जाएगा। वैसे इस उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों का कोई राष्ट्रीय नेता प्रचार के लिए नहीं पहुंचे और अब किसी के आने की संभावना भी नहीं है। दोनों ही पार्टी के प्रादेशिक नेताओं ने ही प्रचार-प्रसार की कमान संभाली।

एक-दूसरे पर रोज हमला करते हुए इन नेताओं ने अपने-अपने भाषण में स्थानीय मसलों को ही उछाला है। महागठबंधन के चुनाव प्रचार का पूरा भार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संभाला हुआ है। उधर, भाजपा की ओर से पूरी प्रादेशिक टीम और पार्टी सांसदों-विधायकों को दुमका और बेरमो उपचुनाव के लिए उतारा गया है। भाजपा की ओर से तीन पूर्व मुख्यमंत्री लगे हुए हैं।