पोटका : सरकार द्वारा बेबस, लाचार, दिव्यांग और गरीब तबके के लोगों लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। लेकिन अभी भी राज्य में ऐसे कई लोग हैं जिनके पास यह सुविधा नहीं पहुंच रही है। जिसके कारण ऐसे लोग भीख मांग कर अपने जीवन यापन करने को मजबूर हैं। ऐसा ही कुछ वाकया देखने को मिला पोटका में। जहां एक लाचार और बेबस पिता अपनी 6 साल की बेटी के साथ अपने परिवार की भूख मिटाने के लिए दुकान-दुकान भीख मांग कर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहा है।
दरअसल 35 वर्षीय अनिल कुमार सिंह बागबेड़ा कीताडीह का रहने वाला है। वह लाफार्ज सीमेंट कंपनी में ड्राइवर का काम किया करता था। 25 जुलाई 2017 को अनिल कुमार सिंह लाफार्ज कंपनी से काम कर साइकिल से कोताडीह लौट रहा था। इस बीच रास्ते में एक लाल रंग की कार ने जोरदार टक्कर मार दी जिससे अनिल कुमार सिंह का पैर पूरी तरह से टूट गया। जिसके बाद एमजीएम में भर्ती कराया गया, जहां बांया पैर काट दिया गया। इसके बाद अनिल के भाइयों ने घर से उसे निकल दिया तब वह अपनी दो बेटियों और पत्नी के साथ भटकने लगा। चारों तरफ जब कहीं भी काम नहीं मिला तो अंत में अनिल कुमार सिंह ने भीख मांग कर ही किसी तरह परिवार को पेट भरना मुनासिब समझा। इसी कारण वह अपनी 6 साल की बेटी को लेकर रोज हाता, हल्दीपोखर, हेसल और राजनगर आदि जगहों पर भीख मांग कर अपने परिवार को पालने के लिए मजबूर है।
अनिल कुमार सिंह के पास न राशन कार्ड है न वोटर कार्ड, आधार कार्ड था जो खो गया है। पैर कट जाने से दिव्यांग हो चुके अनिल को अब कोई रोजगार देने वाला भी नहीं है। परिवार की हालत के कारण बस किसी तरह एक वक्त का भोजन नसीब हो पाता है।