बड़े – बड़े मकानों में ठाठ की जिंदगी जी रहे बाबू साहबों के घर में एक दिन पानी बंद हो जाए तो हाहाकार मच जाता है। फौरन टैंकर तक दरवाजे पर हाजिर हो जाते हैं। लेकिन उन लोगों का क्या जिनके घर में तो छोड़िए, पूरे गांव में ही पानी की सुविधा नहीं।
धनबाद के ईस्ट बसुरिया में नया विस्थापित धौड़ा में बिलकुल ऐसी ही हालत है। इस गांव के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर हैं। लेकिन करीब दो सौ आबादी वाले इस धौड़ा गांव में पानी के लिए किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है। इनकी रोजमर्रा की जिंदगी में दूर दराज के इलाकों से पानी ढोना भी शामिल है। प्यास बुझाने के लिए गांव वालों को दूसरे इलाकों से पेयजल पड़ता है। स्थिति ऐसी है कि गांव के बच्चों को भी साइकिल या पानी ढोना पड़ता है।
धौड़ा के लोग बड़की बौआ सात नंबर के नल से पेयजल लाकर काम चलाते हैं। वहीं नहाने व कपड़ा – बर्तन धोने के लिए करीब एक किमी दूर निछानी स्थित जोड़िया जाना पड़ता हेै। पास के सेक्टर – 1 के सायरा में पीट वाटर जमा तो होता हेै लेकिन इससे नहाने व कपड़ा – बर्तन धोने के लिए लोगों को पूर्ति नहीं हो पाती हेै।
स्थानीय लोग बताते हैं कि धौड़ा में पानी की कोई सुविधा नहीं होने के कारण सालों भर पानी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ता है। लेकिन हमारी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है। स्थानीय लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों व बीसीसीएल प्रबंधन से पानी की सुविधा बहाल कराने की गुहार लगाई है। लेकिन इनलोगों की परेशानी न तो किसी को दिखाई देती है ना इनकी गुहार सुनाई देती है।