Jhupdate: समुद्र के अंदर सीपियों में पाई जाने वाली मोतिया अब रोजगार की साधन के रूप में उभर रही है। समुद्र में पाए जाने वाली मोतियों की खेती रोजगार उपलब्ध के साथ-साथ अच्छी आमदनी का भी साधन बन रही है। लेकिन मोती की खेती भी की जाती है यह सुन थोड़ा अटपटा लगता होगा, लेकिन सत्य है। एयूडीएसीआइए ई- कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग और जामताड़ा के कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अधिकरण (आत्मा) के निर्देशन में से टुंडी के कदमहरा गांव के पास इसकी खेती की शुरुआत की गयी। यहां खेती कर रहे सिंदरी के किसान जयदेव पाल ने बताया कि धनबाद विधायक मथुरा प्रसाद महतो के प्रयास से 17 जून 2022 को इसकी शुरुआत की गयी थी अब एक महीने में सीप में मोती तैयार हो जायेंगे। उन्होंने बताया कि मोतियों की खेती करना प्रशिक्षण काल है। जिसमें थोड़ा धैर्य की जरूरत है। इसके बाद रेगुलर खेती की जायेगी। यह भी बताया कि सीप को पालना और उसके अंदर से मोती निकालने की प्रक्रिया को ही मोती की खेती कहते है, साथ ही सीपीयू में से मोती तैयार होने में 14 महीने का समय लगता है।
14 महीने में तैयार होती है एक मोती…
14 महीना के इंतजार के बाद, एक महीने बाद सीपीयो में से मोतिया तैयार हो जाएगी। इससे पहले ही कंपनी ने सारे सीप की खरीदारी कर ली है। कंपनी सिर्फ खेती कराना चाहते हैं और कटिंग से पहले सीपीयो की खरीद कर लेते है। दरअसल खेती करने वाले चाहते है कि कटिंग उनके सामने हो ताकि वे और कुशल हो सके, लेकिन कंपनी कटिंग से पहले ही सीप को खरीद लेती है।
कैसे तैयार होता है…
एक बड़ी पानी का निर्माण किया जाता है, जिसे पूरी तरह पानी से भर लरी में सीप को उसी पानी में डुबोकर रखा जाता है। तथा 24 घंटे पाइप के माध्यम से उसमें पानी दिया जाता है तथा हर सप्ताह पानी से गंदे पदार्थ निकालकर पानी को साफ किया जाता है साथ ही कंपनी वाले बीच-बीच में सीपीयू का निरीक्षण भी करते रहते हैं 10 से 12 महीने के बीच ऑपरेट कर सीप में सिपिंग की जाती है। उससे मोती का लिक्विड एक जगह एकत्रित हो जाता है। जैसा डिजाइन बनाना होता है, वैसा चिप डाला जाता है। इस तरह 14 महीने का वक्त लगने के बाद मोती को तैयार कर लिया जाता है। चिप डालने से पूर्व ही कुछ कंपनियां सीप को खरीद लेती है। तीन सौ रुपए की मूल्य से एक सीप की बिक्री की जाती है।