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झारखंड में अगले 10 सालों में सेंट्रल सेक्टर पर विद्युत के लिए निर्भरता होगी खत्म..

रांची : झारखंड में अगले 10 साल में सेंट्रल सेक्टर पर निर्भरता खत्म होने वाली है। इसके लिए 4 कंपनियों से एमओयू होगा। झारखंड में महंगी बिजली को सस्ती दर पर लागू करने किए प्लान तैयार किया गया है। जिसके लिए तैयारी भी शुरू हो गई है। बता दें कि झारखंड में आगामी 10-20 सालों में बढ़ती बिजली मांग को पूरी करने की दिशा में उर्जा विभाग और जेबीवीएनएल ने एक और कदम बढ़ाया है। जेबीवीएनएल बहुत जल्द झारखंड में बैठ रहे विभिन्न प्लांटों से बिजली लेने के लिए संबंधित कंपनियों से एमओयू करेगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। करीब 3090 मेगावाट बिजली के लिए और आगामी 25 सालों के लिए होगा। जेबीवीएनएल इस प्रयास में जुटी है कि जल्द से जल्द सेंट्रल सेक्टर से मिल रही महंगी बिजली से निजात मिल सके। झारखंड में उत्पादित बिजली सस्ती दर पर मिल सके।

इसके लिए नार्थ कर्णपुरा में एनटीपीसी द्वारा लगाए जा रहे पावर प्लांट से 500 मेगवाट बिजली के लिए करार होगा। इस प्लांट की क्षमता 1,980 मेगावाट की होगी। जिसके प्रथम चरण में 500 मेगावाट के लिए करार होगा। इसी तरह पतरातू में एनटीपीसी और जेबीवीएनएल के बीच ज्वाइंट वेंचर के तहत लगाए जा रहे नए प्लांट से 2,040 मेगावाट के लिए करार होगा। इस प्लांट की कुल क्षमता 4000 मेगावाट की है। जिसमें से 75 फीसदी बिजली झारखंड को मिलनी है। इसी तरह गोड्डा में लग रहे अडाणी से 400 मेगावाट के लिए एमओयू होगा। गोड्डा में अडाणी पावर कुल 1,413 मेगावाट का प्लांट लगा रहा है। जिसमें 400 और 613 मेगावाट छत्तीसगढ़ को दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त गेतलसूद डैम में 100 मेगावाट का लग रहे फ्लोटिंग सोलर प्लांट के लिए सेकी के साथ एमओयू होगा।

झारखंड की 80 फीसदी निर्भरता सेंट्रल सेक्टर के बिजली पर है। डीवीसी कमांड एरिया को छोड़कर प्रतिदिन 1800 मेगावाट की बिजली की आवश्यकता है। जिसमें कम से कम 1200 मेगावाट सेंट्रल सेक्टर से खरीदी जाती है। जबकि झारखंड की अपनी उपलब्धता महज 500 मेगावाट के आसपास हीं है। सेंटल सेक्टर से ली जाने वाली बिजली करीब 5 रूपये प्रति यूनिट से 6 रूपया तक पड़ता है। जब झारखंड में उत्पादित कंपनियों से बिजली मिलने लगेगी तो यह 3 रूपया से लेकर 4 रूपया यूनिट तक ही पड़ेगी। इससे जेबीवीएनएल को काफी राहत मिलेगी। फिलहाल झारखंड में बिजली कुल खपत एवं मांग 2200 मेगावाट की है। आगामी 20 वर्ष के बाद झारखंड में बिजली की मांग एवं खपत 5000 मेगवाट तक जा सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए सरकार यह कदम उठा रही है।

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