देवघर रोपवे हादसा: तीसरे दिन 10 और निकाले गए, एक ट्रॉली में अभी भी फंसे हैं पयर्टक; ऑपरेशन जारी..

देवघर: देवघर के त्रिकुट पर्वत पर हुए हादसे में फंसे लोगों को बचाने की पहल एक बार फिर शुरू हो गई है। मंगलवार सुबह छह बजे से ही इंडियन एयरफोर्स समेत आइटीबीपी व सेना के जवान और एनडीआरएफ की टीम के साथ स्‍थानीय लोग रोपवे में फंसे लोगों को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। सुबह से अबतक दस लोगों को सुरक्षित बचाया जा चुका है, जबकि एक ट्रॉली में लोग अभी ऊपर और फंसे हैं। मंगलवार को बचाए गए लोगों में दो नमन नीरज और अभिषेक नंदन बिलासी टाउन देवघर के रहनेवाले हैं। करीब 38 घंटे के लंबे इंतजार के बाद इन्‍हें रोपवे से सुरक्षित नीचे उतारा जा सका। रेस्‍क्‍यू किए जाने के बाद इन सभी को सदर अस्‍पताल ले जाया गया है। बताया जाता है कि वायु सेना की टीम ने एक केबिन से बेहोशी की हालत में दो लोगों को निकाला। फिलहाल लोगों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया जा रहा है। कल हुए हादसे के बाद आज काफी एहतियात बरती जा रही है।

जानकारी के अनुसार, इंडियन एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्‍टर Mi 17 और Mi-17 V5 मंगलवार को सुबह से बचाव अभियान में जुटे हैं। बताया जाता है कि अब भी दो ट्रालियों में फंसे लोगों को निकाला जाना बाकी है।

कल निकाले गए थे 32 लोग, शाम में हादसे के बाद रोक दिया गया था अभियान..
मालूम हो कि सोमवार की शाम तक चले रेस्क्यू आपरेशन के बाद 32 पर्यटकों को सकुशल निकाल लिया गया था। वहीं दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड निवासी रोजगार सेवक रमेश कुमार मंडल सेफ्टी बेल्‍ट खुल जाने से करीब डेढ़ हजार फीट नीचे गिर गए। शाम 5:50 पर जब राकेश को निकाला जा रहा था, उस समय वह हेलीकाप्टर तक पहुंच चुके थे, लेकिन इस बीच उनका हाथ सैनिक के हाथ से छूट गया और वह गहरी खाई में जा गिरे। इस हादसे के बाद व अंधेरा हो जाने की वजह से कल आपरेशन रोक दिया गया था। करीब 15 पर्यटकों को इसके बाद दूसरी रात भी खौफ के साये में गुजारनी पड़ी।

रोप-वे का सैप टूटने से हुआ था हादसा..
दरअसल रविवार को रोप-वे का सैप (पुल्ली) टूट जाने से हादसा हुआ था। इसी पुल्ली के सहारे तार पर केबिन सरकते हैं। इसके टूटने से दो केबिन आपस में टकरा गए। घटनास्थल पर मौजूद कई लोगों का कहना था कि रोप-वे का रखरखाव यदि ठीक होता तो यह हादसा नहीं होता। समय-समय पर रोप-वे की जांच होनी चाहिए। जिस रोपवे से इंसान जाते हैं, उसका सैप टूटना बताता है कि कहीं न कहीं खामी है। उसमें कोई न कोई कमी रही होगी, तभी वह टूटा। उसकी समय पर जांच होती तो कमी पकड़ में आ जाती।

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