रांची: प्रशासन और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प मामले में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी और मंटू सोनी को अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने दोषी पाते हुए छह-छह माह की सजा सुनाई है। वही अन्य पांच आरोपियो को पीआर बॉन्ड पर रिहा किया गया। बड़कागांव थाना क्षेत्र में 17 मई 2016 को एनटीपीसी के खनन के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों द्वारा 16 दिनों से विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था। जहां प्रशासन और ग्रामीणों के बीच झड़प हुई थी। जिसमें ग्रामीणों के द्वारा प्रशासन की गाड़ी में तोड़-फोड़ की गई थी। घटना को लेकर स्थानीय प्रशासन ने 23 लोगों के खिलाफ बड़कागांव थाना में प्राथमिकता (कांड संख्या 135/2016) दर्ज करवाई थी। प्राथमिकी के अनुसार स्थानीय ग्रामीणों द्वारा एनटीपीसी से पर्याप्त मुआवजा राशि और पुनर्वास आदि की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा था। योगेंद्र साव व निर्मला देवी पर आरोप लगाया गया था कि आम लोगों को उकसाया और परंपरागत हथियारों से लैस होकर प्रशासन की ओर से मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों पर पथराव किया गया। जिसमें पुलिस के वाहनों को क्षति पहुंची। साथ ही सरकारी कार्य में बाधा डाला गया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर साल 2019 में योगेंद्र साव से जुड़े सभी केस की सुनवाई रांची कोर्ट में चल रही है। इससे पूर्व हत्या के प्रयास के मामले में योगेंद्र साव एवं निर्मला देवी को 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी।
कुछ ऐसा था पूरा मामला..
एनटीपीसी की ओर से किए जा रहे जमीन अधिग्रहण के विरोध में इस दौरान कफन सत्याग्रह किया गया था। इस मामले में वर्ष 2015 बड़कागांव में गोली चल गई। इसमें कई लोगों की मौत हो गई। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर एनटीपीसी के खिलाफ यह आंदोलन चलाया था। हिंसा के बाद दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। आंदोलन तेज होने पर प्रशासन और सरकार के साथ कई दौर की बात हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद पूर्व विधायक निर्मला देवी को गिरफ्तार कर लिया गया था। इससे पुलिस और ग्रामीणों के बीच पथराव और हिंसक झड़प हुई। इस मामले में योगेंद्र साव पर दो दर्जन से अधिक मामले में दर्ज किए गए थे। इनमें से 11 मामलों में साव बरी हो चुके हैं। दो में सजा हुई है। इससे पहले एक मामले में पत्नी-पत्नी को 10-10 वर्ष की सजा सुनाई गई है।