बेड के बाद अब जमशेदपुर शहर में कोरोना संक्रमितों के लिए रेमडेसिवीर इंजेक्शन की व्यवस्था भी चुनौती बनती जा रही है। शहर के चिन्हित दुकानों में सुबह से मरीजों की कतार लग रही है। लेकिन डिमांड के मुताबिक इंजेक्शन मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इधर अफसर केवल उपलब्धता का दावा का रहे हैं, लेकिन धरातल में बनी समस्या देखने को कोई भी जिम्मेदार सामने नहीं आ रहा है।
शनिवार को नेशनल हाइवे स्थित उमा हॉस्पिटल व टाटा मोटर्स अस्पताल में कई मरीजों की इस दवा की जरूरत पड़ी लेकिन नहीं मिल सकी। इसके बाद मरीज के परिजन पूरे शहर के दवा दुकान में घूम लिए लेकिन कहीं नहीं यह दवा मिली।
एक मरीज की तो मौत हो गई लेकिन उन्हें इंजेक्शन नहीं मिल सकी। दरअसल, उनकी स्थिति गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने उनके परिजन को रेमडेसिवीर इंजेक्शन लाने को कहा। इसके बाद वे एमजीएम सहित अन्य अस्पताल गए लेकिन कहीं नहीं मिला। कई दवा दुकानों का भी चक्कर लगाया लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल सकी। शहर की स्थिति भयावह हो चुकी है। न तो दवा मिल रही और न ही इंजेक्शन व ऑक्सीजन। ऐसे में जान कैसे बचेगी।
वहीं शहर के लिए अब और एक बुरी खबर है। मरीजों की जान बचाने वाले लगभग दो दर्जन से अधिक चिकित्सक कोरोना संक्रमित हो गए हैं। इसमें महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल, टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच), ब्रह्मानंद नरायणा अस्पताल सहित कई नर्सिंग होम के चिकित्सक भी संक्रमित हो गए हैं। इनमें कई बड़े डॉक्टर भी शामिल हैं। इधर, शनिवार को एमजीएम के कोविड वार्ड में तैनात एक डॉक्टर सहित तीन कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो गए। इसमें लैब टेक्नीशियन व नर्स भी शामिल हैं। इससे अस्पताल में डॉक्टर, नर्स व टेक्नीशियन की कमी हो गई है। किसी तरह जीएनएम की ट्रेनिंग कर रही छात्रों को ड्यूटी पर लगाकर काम चलाया जा रहा है।