जमशेदपुर में पले-बढ़े अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार डॉ नरेंद्र कोहली का निधन..

अंतरराष्ट्रीय स्तर के जाने माने साहित्यकार डॉ नरेंद्र कोहली का शनिवार देर रात दिल्ली में निधन हो गया। इस खबर के बाद पूरे जमशेदपुर शहर में शोक की लहर दौड़ गई। साहित्य से जुड़े लोग डॉ कोहली के निधन से काफी मर्माहत हुए हैं।

गौरतलब है कि डॉ कोहली का बचपन से जवानी तक का सफर जमशेदपुर शहर में ही बीता था। उनका जन्म छह जनवरी 1940 को अविभाजित भारत के संयुक्त पंजाब स्थित सियालकोट में हुआ था। भारत-पाक विभाजन के बाद 1947 में उनका परिवार जमशेदपुर आ गया था। उनके पिता कदमा में रहते थे और उनकी स्कूली शिक्षा-दीक्षा भी यहीं हुई थी। जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज से हिंदी में स्नातक करने के बाद वे दिल्ली चले गए थे। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर व पीएचडी किया था। इसके बाद वे दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगे और दिल्ली में ही बस गए। हालांकि उनका जमशेदपुर आना जाना अक्सर लगा रहता था। खासकर 2006 से प्रतिवर्ष बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन द्वारा आयोजित साहित्य सम्मेलन अक्षर कुंभ में आते थे।

डॉ कोहली ने उपन्यास, व्यंग्य, नाटक, कहानी के अलावा संस्मरण, निबंध जैसी सभी विधाओं में लगभग सौ पुस्तकें लिखीं। उन्होंने महाभारत की कथा को अपने उपन्यास महासमर के आठ खंडों में समाहित किया। उनके चर्चित उपन्यासों में पुनरारंभ, आतंक, आश्रितों का विद्रोह, साथ सहा गया दुख, मेरा अपना संसार, दीक्षा, अवसर, जंगल की कहानी, संघर्ष की ओर, युद्ध, अभिज्ञान, आत्मदान, प्रीतिकथा, कैदी, निचले फ्लैट में, संचित भूख आदि हैं। संपूर्ण रामकथा को उन्होंने चार खंडों में 1800 पन्नों के वृहद उपन्यास में पेश किया।

डॉ कोहली को शलाका सम्मान, साहित्य भूषण, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार, साहित्य सम्मान तथा पद्मश्री सहित दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

डॉ कोहली के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, सुप्रसिद्ध साहित्यकार नरेंद्र कोहली जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है, साहित्य में पौराणिक और ऐतिहासिक चरित्रों के जीवंत चित्रण के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे, शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं, ओम शांति!

वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शोक जताते हुए ट्वीट किया, डॉ कोहली के निधन से बहुत दुख हुआ। हिंदी साहित्य जगत में उनका विशेष योगदान रहा है। उन्होंने हमारे पौराणिक आख्यानों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया। पद्मश्री सम्मानित साहित्यकार के परिवार और पाठकों के प्रति मेरी शोक संवेदना।

सोनारी में भाई के यहां ठहरते थे
साथी की मौत की खबर सुनकर जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में उनके सहपाठी रहे डॉ सी भास्कर राव बेहद आहत हैं। डॉ भास्कर राव की पत्नी डॉ सूर्या राव भी साथ पढ़ी थीं। बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग की अध्यक्ष डॉ. जूही समर्पिता ने कहा कि हाल में उनसे संस्कार भारती के एक कार्यक्रम में दिल्ली में मुलाकात हुई थी। जमशेदपुर के दर्जनों साहित्यकारों को डा. कोहली अक्सर फोन करते रहते थे। उनके भाई यहां सोनारी के आदर्श नगर में रहते थे। कोहली जी भी जमशेदपुर आगमन पर यहां ठहरते थे। जब तक वे अक्षर कुंभ समेत अन्य साहित्यिक आयोजनों में यहां आते, सुबह से रात तक उनसे मिलने वालों का तांता लगा रहता था।