राज्य में अगले 15 दिनों में कोरोना के फिर से बढ़ने की आशंका जताई गई है। मरीजों की संख्या भी वर्तमान के मुकाबले 10 गुना से अधिक हो जाएगी। रिम्स के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. देवेश ने बताया कि नया वेरिएंट एक्स-ई पिछले कई वैरिएंट का मिलाजुला है। यह ओमिक्रोन की तरह ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमित करेगा। हालांकि गंभीर होने वाले लोगों की संख्या बता पाना अभी मुश्किल है। उन्होंने बताया कि 15 दिन में सिर्फ मरीजों के मिलने की रफ्तार पता चलेगी। उसके बाद भी उस ट्रेंड के हिसाब से मरीज मिलेंगे। दिल्ली जैसे शहरों में मरीज मिल रहे हैं। अब तक का ट्रेंड रहा है कि दिल्ली में मरीज मिलने के 10 से 15 दिनों में झारखंड में भी मरीज मिलने लगते हैं। वहीं, डॉ. देवेश ने कहा, कोरोना को लेकर सर्विलांस बढ़ाने की जरूरत है। सर्विलांस के तहत जांच भी बढ़ानी पड़ेगी। हालांकि उन्होंने संभावना जताई है कि स्कूलों को बंद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लोगों को सावधानी बरतनी जरूरी है।
ओमिक्रोन के समय हर दिन 8 हजार जांच, अभी अधिकतम 400
विशेषज्ञों के अनुसार एक्स-ई वेरिएंट को देखते हुए जांच बढ़ाने की जरूरत है। सही से सर्विलांस होने पर मरीजों को डिटेक्ट किया जा सकता है। हालांकि अभी रांची जिले में जांच का औसत बहुत कम है। पिछले सात दिनों में एक हजार जांच ही हुई है। वहीं, अप्रैल में अब तक एक दिन में अधिकतम 400 लोगों की ही जांच हो सकी है। छह से सात दिन 150 से भी कम जांच की गयी है। बता दें कि ओमिक्रोन के दौरान एक दिन में ही औसतन आठ हजार जांच हो रही थी।
खुद जांच कराने पहुंचेंगे मरीज, कैसे होगी जांच, कर्मियों के लिए फंड ही नहीं
डॉ देवेश ने कहा, नए वेरिएंट का फैलाव अधिक होने व लक्षण होने पर लोग खुद जांच कराने सेंटर तक पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले मरीजों का सर्विलांस तेज करने की जरूरत है। कोरोना के मरीजों की पहचान के लिए जांच जरुरी है। जांच नहीं होने पर पहचान नहीं हो पाएगी। पर, जांच बढ़ाने के लिए रांची जिला के पास कर्मी ही नहीं है। कांट्रैक्ट पर बहाल कर्मियों को हटा दिया गया है। वहीं जांच में लगे कर्मियों को देने के लिए विभाग की ओर से जिला को फंड भी नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में जांच बढ़ाने में जिला स्वास्थ्य विभाग को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।