सातवें JPSC असैनिक सेवा परीक्षा के पैटर्न में बदलाव। कटऑफ से ले कर मूल्यांकन पद्धति में किए गए हैं बदलाव ..

झारखंड सरकार ने हाल ही में छठवें जेपीएससी संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के संबंध में झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा आए फैसले के मद्देनजर इस परीक्षा में कुछ जरूरी बदलाव किए हैं।

राज्य सरकार ने पहली बार संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा नियमावली का गठन किया है। इसके अनुसार मुख्य परीक्षा कुल 6 पेपरों का होगा व पहला पेपर मात्र क्वालीफाइंग प्रकृति का होगा। इस पेपर में प्राप्तांक कुल अंकों में नहीं जोड़ा जायेगा। छठवें जेपीएससी परीक्षा में इसी विषय के अंकों को कुल अंकों में जोड़ दिया गया था और परिणाम घोषित कर दिए गए थे। मुख्य परीक्षा कुल पांच पेपरों के आधार पर 1050 अंकों की होगी जिसमें 100 अंकों के साक्षात्कार के अंक भी शामिल हैं।

JPSC असैनिक सेवा परीक्षा में शामिल होने की कुल प्रयासों की संख्या सीमा भी खत्म कर दी गई है। साथ ही साथ परीक्षा में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग–I व II वर्गों के लिए कट-ऑफ मार्क्स की बाध्यता भी खत्म कर दी गई है। ऐसा किए जाने का कारण आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियाें की मुख्य परीक्षा में संख्या, संबंधित श्रेणी में उपलब्ध कुल पदों का, 15 गुणा करने की है। पहले इन श्रेणियों के अभ्यार्थियों द्वारा कट-ऑफ मार्क्स से कम मार्क्स प्राप्त करने के कारण यह संख्या पूरी नहीं हो पाती थी । कट-ऑफ मार्क्स की बाध्यता हटने से अब अधिक से अधिक अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए योग्य हो जायेंगे। सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यार्थियों का मुख्य परीक्षा के लिए चयन होगा जिससे 15 गुणा की संख्या पूरी की जा सकेगी।

जेपीएससी द्वारा संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा (सातवीं) चार वर्ष 2017, 2018, 2019 तथा 2020 के लिए एक साथ ली जाएगी। विभिन्न सेवाओं में कुल 252 पदों पर नियुक्तियाँ होनी हैं जिसके लिए इस साल फरवरी-मार्च में ही आवेदन प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। दो मई को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गई है।