
गिरिडीह: बोझ कहकर बूढ़े पिता को मुंबई में छोड़ आई बेटी, रोते – बिलखते ऐसे पहुंचे घर..
जीवन का अंतिम पड़ाव यानी कि बुढ़ापे में अपनों का साथ बेहद जरूरी होता है। ये वो वक्त होता है जब इंसान का जीवन असक्त हो जाता है। कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है तथा भरण-पोषण के लिए अपने बच्चों पर निर्भर रहना पड़ता है। वहीं बच्चे जिसे बचपन से युवा तक इस…