बाबा बैद्यनाथ और बासुकीनाथ मंदिर में फाल्गुन पूर्णिमा पर हुआ हरी का हर से मिलन..

बाबा नगरी देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम मंदिर में परंपरा अनुसार होली के मौके पर हरी का हर से मिलन कराया गया। रविवार को इस मौके पर दोनों को अबीर-गुलाल से सराबोर किया गया। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन हरि द्वारा बैद्यनाथ की स्थापना की गई थी तभी से इस मंदिर में हरि से हर के मिलन की परंपरा चली आ रही है।

भगवान श्री हरि को बाबा बैद्यनाथ मंदिर से पालकी में बैठाकर ढोल बाजे के साथ अबीर- गुलाल उड़ाते हुए आजाद चौक स्थित दोल मंच ले जाया गया। इसके बाद भगवान श्री हरि को दोल मंच में झूले पर झुलाया गया। शाम को होलिका दहन के बाद भगवान श्री हरि को दोल मंच से बाबा मंदिर लाया गया और श्री हरि को बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग से स्पर्श कराते हुए हरि का हर से मिलन कराया गया।

दरअसल इस दिन को शिवलिंग की स्थापना के रूप में भी मनाया जाता है। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने चरवाहे का रूप धारण कर शिवलिंग को रावण से अपने हाथों में लिया था और यहां स्थापित किया था। इसी परंपरा के अनुसार, हरि और हर मिलन कराया जाता है। वहीं एक अन्य कथा के मुताबिक, अमृत मंथन में जिस मोहिनी रूप का जो वर्णन हुआ था, शंकर भगवान मथुरा में गोपी नृत्य में मोहिनी का रूप धारण कर पार्वती के पास पहुंचे थे। उस समय शिव की कृष्ण से मुलाकात नहीं हो पाई थी। ऐसे में शिव की इच्छा हुई थी कि कृष्ण अवतार में इनसे मिले। इसी इच्छा पूर्ति के लिए बाबा धाम में हरी और हर का मिलन कराया जाता है।

दूसरी तरफ दुमका के बासुकीनाथ धाम में भी फाल्गुन पूर्णिमा पर हरि और हर मिलन कराया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने बाबा फौजदारी को अबीर गुलाल लगाकर होली का आह्वान किया।

फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन हरि और हर अर्थात भगवान विष्णु और महादेव एक दूसरे से मिले थे जिसको लेकर बासुकीनाथ धाम में भी हरिहर मिलन उत्सव मनाया गया। शास्त्रों में दिए वर्णन के अनुसार राक्षसी होलिका के दहन से पूर्व भगवान विष्णु और भोलेनाथ का मिलन होता है। दोनों एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होलिका दहन से पूर्व की शुभकामनाएं देते हैं। होलिका दहन के बाद उसके राख से होली मनाने की शुरुआत मानी जाती है।

इस वर्ष रविवार को बासुकीनाथ धाम मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस कैलाश देव ने भी यहां सपरिवार बाबा बासुकीनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की। इस दौरान मंदिर के पंडा पुरोहितों ने उन्हें विधिवत पूजा कराया।