झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा छठे जेपीएससी के संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा–2016 के अंतिम परिणाम को खारिज किए जाने के बाद फिर से पेंच फंस गया है। कोर्ट का आदेश लागू होने से 100-150 अधिकारियों की नौकरी जा सकती है। वहीं इतनी ही संख्या में पहले अचयनित रहे अभ्यर्थियों को मौका मिल सकता है। यह अनुमान अभ्यर्थियों के अंकों के आधार पर लगाया जा रहा है।
देखने वाली बात ये रहेगी कि राज्य सरकार या जेपीएससी इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में अपील करेगी या वर्तमान फैसला लागू कर नया संशोधित परिणाम जारी करेगी। नई मेधा सूची से बाहर होने वाले अभ्यर्थी भी इसके खिलाफ न्यायालय जा सकते हैं। मामला सर्वोच्च न्यायालय तक भी जाने का अंदेशा है।
सुधार के बाद जारी होने वाले नए परिणाम में पहले से चयनित कुछ अभ्यार्थियों के कुल अंक घटने की संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि जेपीएससी के नियमानुसार हिंदी व अंग्रेजी विषय के पेपर-1 में लाए गए अंक को कुल अंक में जोड़ने का प्रावधान नहीं है। पुरानी मेधा सूची का निर्माण इस पेपर में प्राप्त अंकों को जोड़कर बनाया गया था जो गलत है। नई मेधा सूची का निर्माण बिना इन अंकों को जोड़े किया जाएगा जिससे उन अभ्यार्थियों के कुल अंक में कमी आयेगी जिन्होंने पेपर-1 में अधिक अंक प्राप्त किए थे लेकिन बाकी पेपरों में कम अंक थे। इससे उन अभ्यार्थियों को फायदा होगा जिन्होंने अन्य पेपरों में अच्छे अंक प्राप्त किए थे।
लेकिन यह सिर्फ मुख्य परीक्षा चरण तक की बात है। संशोधित अंकों के अनुसार वो अभ्यर्थी जो इस बार कटऑफ अंक को पार करेंगे लेकिन पिछली बार कटऑफ पार नहीं कर पाए थे व साक्षात्कार चरण से पहले बाहर हो गए थे उन्हें इस बार साक्षात्कार में शामिल होना होगा। ऐसा होने पर साक्षात्कार के लिए न्यायालय से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
पिछले साल आयोग द्वारा अंतिम परिणाम के बाद अभ्यर्थियों के प्राप्तांक भी जारी कर दिए गए थे जो अब सार्वजनिक हैं। आमतौर पर सभी अभ्यर्थियों को उनके प्राप्तांक साक्षात्कार चरण के बाद अंतिम परिणाम जारी होने के बाद ही प्राप्त होते हैं। लेकिन अब नई मेधा सूची के अनुसार साक्षात्कार के लिए चुने जाने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार से पहले ही उनके मुख्य परीक्षा के प्राप्तांकों की जानकारी है। ऐसे में साक्षात्कार लेने पर गोपनीयता का मामला भी उठ सकता है। ऐसे में साक्षात्कार लेना उचित नहीं माना जा रहा है।