रांची : एचईसी को मिला 200 करोड़ रूपये का कोल हैंडलिंग प्रोजेक्ट, मंदी से मिलेगी राहत..

कोरोना काल की व्यापारिक मंदी के बीच रांची स्थित एचईसी ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। कंपनी ने नॉर्दर्न कोल फील्ड्स (एनसीएल) में करीब 200 करोड़ रुपये के कोल हैंडलिंग प्रोजेक्ट को अपने नाम कर लिया है। इसके तहत मध्य प्रदेश के गोर्बी स्थित एनसीएल के ब्लॉक-बी के विकास हेतु कंपनी द्वारा डिजाइन से लेकर उत्पादन तक उपकरणीय निर्माण कर मदद की जाएगी। खान की उत्पादन क्षमता 4.5 मिलियन टन प्रति वर्ष है। यहां एचईसी को 1.5 वर्ष के लिए कार्यादेश मिला है।

इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए लगाए गए बिड में कंपनी की ओर से सबसे बेहतर बोली लगाई गई। ये प्रोजेक्ट हासिल होने पर एचईसी के निदेशक, मार्केटिंग डॉ. राणा एस चक्रवर्ती ने कर्मचारियों और टीम के सभी सदस्यों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि एचईसी के साथ गुणवत्तापूर्ण कार्य का विश्वास जुड़ा है। कंपनी अगले डेढ़ साल में एनसीएल के इस प्रोजेक्ट में प्लानिंग, डिजाइनिंग, निर्माण, इंजीनियरिंग, सप्लाई, इंस्टॉलेशन, टेस्टिंग, ट्रायल आदि की सेवा प्रदान करेगी।

इसके सब के अलावा अपने किए गए कार्य पर पांच साल मेनटेनेंस की सुविधा देगी। बता दें कि एचईसी को इस प्रोजेक्ट में कुछ बड़े निर्माण भी करने हैं। इनमें बड़े आकार के कन्वेयर, साइजर, रिसीविंग होप्पर, एपरॉन फिडर और पीएलसी यूनिट के लिए विद्युतीय निर्माण शामिल हैं। एचईसी वर्तमान में एनसीएल के कृष्णाशिला एरिया में एक और प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जो लगभग पूरा होने वाला है।

माना जा रहा है कि पहले से घाटे में चल रही एचईसी को अगर ऐसे प्रोजेक्ट मिलते रहें तो कंपनी की स्थिति में सुधार हो सकता है। पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने विजाग स्टील प्लांट से 250 करोड़ रुपये के दो अलग-अलग कार्य आदेश प्राप्त किए थे। कंपनी के पास 10 मिलियन टन के कोल इंडिया और सेल खदान में कार्य करने का अनुभव है।

बताया जा रहा है कि रक्षा के क्षेत्र में भी एचईसी बड़े निर्माण पर काम कर रही है। इनमें केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत नेवल वार शिप और बख्तरबंद गाडिय़ों का विकास शामिल है। इसमें साधारण गाडिय़ों में तकनीकी बदलाव कर बख्तरबंद गाड़ी बनाने पर भी काम चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी अपने डिजाइन और काम का प्रदर्शन डिफेंस एक्सपो में करने वाली थी, लेकिन कोरोना की वजह से एक्सपो रद्दकर दिया गया। कंपनी अब सीधे डीआरडीओ के संपर्क में है। एचईसी के पास पहले से रक्षा प्रोजेक्ट संभालने का अनुभव भी है।

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