झारखंड के गिरिडीह जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत सामने आई है। जिले के गांवा प्रखंड में उचित समय पर उपचार न मिलने पर शिशु और मां की मौत हो गयी। जिसके बाद मृतक के परिजनों ने गांवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जमकर हंगामा किया।
गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के निवासी सुनील मरांडी की पत्नी सुरजी मरांडी प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी, लेकिन तिसरी में स्वास्थ्य सेवा के अभाव के कारण उन्हें खाट पर लेटा कर पैदल ही गांवा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने लगे। करीब 25 किमी दूर ले जाने के बाद सुरजी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई जिसके बाद वही पास के तारा ढाबा के समीप उन्होंने नवजात को जन्म दिया। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा की नाज़ुक हालत को देखते हुए परिजनों ने उन्हें वापस खाट पर सुलाया और गांवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। लेकिन अस्पताल में चिकित्सक मौजूद नहीं थे और वक़्त रहते इलाज न मिलने पर सुरजी ने अस्पताल के गेट पर ही दम तोड़ दिया।
इधर मामले की जानकारी लेने पर प्रभारी चिकित्सक ने कहा कि वो गिरिडीह सदर अस्पताल गए हुए थे और अन्य चिकित्सक दुर्भाग्यवश मौके पर मौजूद नहीं थे। जब वो यहाँ आये तब तक महिला की मौत हो चुकी थी।