यूक्रेन में फंसे झारखंड के छात्र-छात्राओं की घर वापसी का सिलसिला जारी है। शुक्रवार को 10 छात्र-छात्राओं का समूह दोपहर करीब 2 बजे रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा। इसमें गोड्डा, साहिबगंज, दुमका, पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग व जमशेदपुर के छात्र व छात्राएं शामिल रहे। कई छात्र-छात्राओं के अभिभावक उन्हें रांची आए थे। अपनों से मिलने की खुशी आंखों से आंसू बनकर छलक रही थी। स्वदेश लौटने वाले छात्र-छात्राओं की टीम में गोड्डा के दानिश अजहर,अब्दुल अजीम,समसुल हक,सोहेल अख्तर, जमशेदपुर के मो. जफर अंसारी, हजारीबाग के आनंद शर्मा, साहिबगंज के गुरेंद्र कुमार, पश्चिमी सिंहभूम के वैभव मुंद्रा तथा दिव्या सिंह तथा दुमका के आदित्य कुमार शामिल रहे। शाम छह बजे और रात आठ बजे की फ्लाइट से भी छात्रों का दो और समूह झारखंड लौटेगा। इनके आगमन को लेकर रांची जिला प्रशासन और श्रम विभाग ने तैयारी कर रखी है।
मीडिया से बातचीत में इन छात्र-छात्राओं ने कहा कि युद्ध शुरू होने से पहले मिल रहे अलर्ट के दौरान स्वदेश नहीं लौटने का बहुत अफसोस रहा। छात्रों का कहना था कि उन तक युद्ध से संबंधित अलर्ट मिल रहे थे लेकिन देखते ही देखते हालात इतने खराब हो जाएंगे। यह किसी ने नहीं सोचा था। छात्र-छात्राओं ने कहा कि वह पढ़ाई करने के लिए गए थे। विश्वविद्यालय संचालित हो रहे थे लिहाजा वह पढ़ाई बीच में छोड़कर नहीं निकलना चाहते थे। विश्वविद्यालय की ओर से कक्षा को लेकर कोई दबाव नहीं था लेकिन युद्ध शुरू हो जाएगा। ऐसा किसी को नहीं लग रहा था। युद्ध की चर्चा जरूर महीनों पहले शुरू हो गई थी। युद्ध शुरू होते ही जीवन पर संकट छा गया। बम गिरने के साथ जिंदगी हर पल मौत के डर में गुजरने लगी।
जमशेदपुर के छात्र जफर ने बताया कि यूक्रेन में छिड़ी युद्ध के बीच कोई मददगार दिखाई नहीं दे रहा था। यूक्रेन का मौसम भी बेहद खराब था। रोमानिया के बॉर्डर पर जाने के दौरान छात्र-छात्राओं को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कि जब उन्हें पता चला कि भारत सरकार की टीम उन्हें रेस्क्यू करने आ रही है तो लगा जैसे नई जिंदगी मिलने वाली है। टीम की गाड़ियों में तिरंगा देखकर सकुशल वापसी का भरोसा पैदा हो गया। छात्र-छात्राओं ने बताया कि अब भी बहुत सारे छात्र व छात्राएं वहां फंसे हुई हैं। सरकार के स्तर से उन्हें लाने का प्रयास चल रहा है।