केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ मुंजपरा महेंद्रभाई ने कहा कि झारखंड में आंगनवाड़ी से जुड़े जो भी मांग हैं, उसे पूरा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार बच्चों, खास कर के महिलाओं को अपनी योजनाओं में प्रमुखता दे रही है। मातृ-शिशु योजना हो, निर्भय फंड हो, पीएम मातृ वंदना योजना हो, या सरकारी संस्थानों में वर्किंग औरतों के लिए क्रेचे सुविधा एवं नए हॉस्टलों का निर्माण हो, पीएम जन आरोग्य योजना हो, मुद्रा योजना, स्टार्ट अप इंडिया या स्टैंड अप इंडिया हो, इन सबमें महिलाओं को प्रमुखता दी गई है। वह आज महिला बाल एवं कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित 2030 – सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल’ की बैठक में बोल रहे थे।
राज्य मंत्री ने कहा कि आज देश के 12 लाख से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों में पेयजल सुविधा है, वहीं 11 लाख से अधिक में शौचालय कि व्यवस्था हो चुकी है। मुद्रा योजना में 60% से ऊपर लोन महिलाओं के नाम दिए गए हैं। आज देश मे कई राज्यों में पंचायतों में 50% महिला आरक्षण है, सैनिक स्कूलों में महिलाओं को पढ़ने का अवसर भी इस सरकार ने दिया है।
राज्य में कुपोषण एक बड़ी समस्या, केंद्र मदद करे: जोबा मांझी
मेजबान राज्य झारखंड की महिला, बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री जोबा माझी ने अपने सम्बोधन में कहा कि राज्य में 40% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, मुख्यमंत्री ने इस समस्या से निपटने के लिए 3-6 साल के बच्चों के लिए आंगनवाड़ी में सप्ताह में 6 अंडे उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने केंद्र की तरफ से सहायता राशि में आई कमी की तरफ भी केन्द्रीय मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया, एवं राज्य में पोषण सखी को दुबारा रखने तथा राज्य में 12,600 से कुछ अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण/ पुनर्निर्माण हेतु सहायता राशि उपलब्ध कराने की गुजारिश की।
महिला सशक्तिकरण को लेकर तीन बिंदुओं पर हो रहा है काम: सचिव
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री इंदीवर पाण्डेय ने बताया कि भारत के भविष्य यानि बच्चों एवं देश की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नई प्रतिबद्धता के साथ मंत्रालय प्रमुखता से तीन नए मिशन पर कार्य कर रहा है – मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य। मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के पोषण संबंधी आवश्यकताओं को सुनिश्चित करना है। मिशन शक्ति का उद्देश्य महिला सुरक्षा, पुनर्वास और सशक्तिकरण के लिए समाधान प्रदान करना, एवं मिशन वात्सल्य के तहत बाल संरक्षण एवं व्यापक बाल कल्याण और विकास सुनिश्चित करना है।उन्होंने आकांक्षी जिलों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित ‘2030 – सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल’ को अपने जिलों में हासिल करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
विदित हो कि स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में, देश अगले 25 वर्षों के लिए समग्र विकास के लक्ष्य निर्धारित कर रहा है। यह पूर्ण प्रतिबद्धता और उत्साह के साथ एक उज्ज्वल भविष्य की ओर देखते हुए, उपलब्धियों पर चिंतन करने, उनका उत्सव मनाने और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आगे बढ़ने का भी समय है। इस उद्देश्य से, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जून 2022 से देश भर में क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय बैठकों की श्रृंखला आयोजित करने का निर्णय लिया। देश के कई हिस्सों में आयोजन के बाद, आज 02.07.2022 को यह बैठक झारखंड की राजधानी रांची में राज्य सरकार के सहयोग एवं नीति आयोग के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई, जिसमें नीति आयोग के साथ झारखंड, छत्तीसगढ़, और ओडिशा के वरिष्ट अधिकारी/ प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
इससे पूर्व अपने स्वागत भाषण में निदेशक – महिला, बाल विकास एवं समाज कल्याण, झारखंड सरकार, ए. डोडे ने ‘आकांक्षी जिलों में महिलाओं एवं बच्चों पर असर’ विषय पर आयोजित इस क्षेत्रीय बैठक में आए सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि उनका विभाग झारखंड में समग्रता से इस वर्ग विशेषों के कल्याण हेतु तत्परता से कार्य कर रहा है।
बैठक में झारखंड के आकांक्षी जिलों जैसे रांची एवं गुमला के जिला उपायुक्तों ने अपने यहाँ किए जा रहे महिला एवं बाल कल्याण के कार्यों पर प्रेज़न्टैशन प्रस्तुत किया। रांची में आयोजित इस ज़ोनल मीट का मकसद आकांक्षी जिलों में हासिल की गई उपलब्धियों का न केवल उत्सव मनाना रहा, बल्कि महिलाओं और बच्चों के विकास और सशक्तिकरण की चर्चा को केंद्रीय मंच पर लाने के लिए मंत्रालय एवं राज्य सरकारों द्वारा निरंतर किए जा रहे प्रयास और प्रतिबद्धता के लिए प्रेरणा को प्रतिबिंबित करना भी रहा।
बैठक की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ मुंजपरा महेंद्रभाई ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। बैठक में महिला एवं बाल विकास मन्त्रालय के सचिव इंदीवर पाण्डेय, संयुक्त सचिव तृप्ति गुरहा, नीति आयोग के सचिव एवं सहभागी राज्यों के आकांक्षी जिलों के सक्षम अधिकारियों/ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।