झारखंड हाईकोर्ट ने रांची में दिन ब दिन प्रदूषित और अतिसंक्रमित होती जा रही नदी, तालाब और जल स्रोतों के हालत पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि रांची की हरमू नदी और बड़ा तालाब की सफाई और सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च हुए हैं, फिर भी उसकी ऐसी बदहाली क्यूं है? पानी से दुर्गंध क्यों आती रहती है, आसपास रहने वाले लोगों का जीना मुहाल होता जा रहा है. जल स्रोतों में बढ़ रही गंदगी लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही है. अगर सरकार ने इस पर जल्द कार्रवाई नहीं की तो कोर्ट इस पर सख्त आदेश पारित करेगा. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई बरकरार रहेगी.
जल स्रोतों के प्रदूषण पर सरकार से कोर्ट के सवाल
जल स्रोतों के प्रदूषीकरण मामले पर झारखंड सिविल सोसायटी और रोहित राय की ओर से हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की गई है. जिसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि रांची के बड़ा तालाब में लगातार नालियों का पानी गिर रहा है, जिससे तालाब का पानी बदबूदार होता जा रहा है, और दुर्गंध की समस्या इस कदर उठ रही है कि तालाब के आसपास रहने वाले घनी आबादी व्याकुल हो रही है. इसी तरह रांची के सर्कुलर रोड के किनारे स्थित न्यू कॉलोनी में सप्लाई वाटर के साथ नाले का गंदा पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है. इससे लोग बड़ी संख्या में बीमार पड़ते जा रहे हैं.
जनहित याचिका की सुनवाई
जानकारी की मानें तो अधिवक्ता खुशबू कटारुका ने रांची के प्रसिद्ध बड़ा तालाब की साफ-सफाई को लेकर जनहित याचिका दाखिल की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि रांची शहर के कई गंदे नाले -नालियों का पानी बड़ा तालाब में गिराया जा रहा है. यहां बड़ी तादाद में जलकुंभियों को देखा जा सकता है. इनकी सफाई नहीं की जाती है. बड़ा तालाब की जमीन का भी अतिक्रमण किया गया है. रांची के कांके डैम, हटिया डैम एवं रुक्का डैम की जमीन का अतिक्रमण किए जाने के मामले में भी कोर्ट ने पूर्व में स्वत: अवभास लेते हुए इसे जनहित याचिका में बदल दिया था. इनपर हुई सुनवाइयों के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को कई दिशा-निर्देश भी दिए थे.