दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए झारखंड के छात्र द्वारा अनोखा उपहार, बनाया स्मार्ट स्टिक..

बोकारो के एमजीएम हायर सेकेंड्री स्कूल में पढ़ रहे ग्यारहवीं कक्षा के छात्र हार्दिक वटाविया ने कुछ अनोखा कर दिखाया है। उन्होंने दृष्टि निःशक्त लोगों के लिए एक ‘स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक’ का अविष्कार किया है। इसमें स्टिक को पकड़े व्यक्ति के सामने किसी भी प्रकार के व्यवधान जैसे दीवार, साइकिल-गाड़ी, इंसान या जानवर के आने पर इसमें लगे अलार्म बज उठेंगे। इससे व्यक्ति सावधान हो जाएगा और सतर्कता से आगे बढ़ सकेगा। इस छड़ी में अल्ट्रासॉनिक सेंसर, स्विच, बज़र, बैट्री व ऑर्डिनो बोर्ड लगा हुआ है। स्विच का उपयोग

ऑन-ऑफ सुविधा के लिए किया जा सकता है। कोरोना काल में 2 फीट की दूरी बनाए रखने के लिए भी इसमें उचित प्रावधान किए गए हैं। 2 फीट की दूरी पर किसी वस्तु या व्यक्ति के होने पर ही घंटी बजने लगती है। जब भी कोई वस्तु सेंसर के 2 फीट की सीमा क्षेत्र में आती है तो यह सक्रिय हो जाती है व इसकी सूचना बोर्ड तक पहुंचती है। बोर्ड से संदेश बज़र तक पहुंचते ही बज़र बजने लगता है।

हार्दिक को यह छड़ी बनाने की प्रेरणा सड़क पर जा रहे एक नेत्रहीन व्यक्ति को देख कर मिली। हार्दिक ने देखा की वह व्यक्ति अपनी छड़ी के सहारे बहुत मुश्किल से चल पा रहा था। यह देख कर उन्होंने इस संबंध में कुछ करने की सोची। उन्होंने अपने विद्यालय के प्राचार्य फादर तेजी सी वर्गीज एवं विज्ञान के शिक्षक गिबिन थॉमस को इसके बारे में बताया। उन्हीं के मार्गदर्शन में विभिन्न यंत्रों-उपयंत्रों का चयन, उनको विद्युत परिपथ में सही तरीके से लगाना व प्रोग्राम फीड करने का काम किया।

प्राचार्य फादर रेजी सी वर्गीज ने बताया कि छात्रों को विज्ञान के सिद्धांत प्रयोगों के जरिए ‘अटल टिंकरिंग लैब’ में समझाए जाते हैं और हार्दिक ने शिक्षक की देख-रेख में यह छड़ी बनाई है। उन्होंने बताया की कोरोना काल के बाद नगर के दृष्टिबाधित लोगों के सामने इसे प्रदर्शित किया जाएगा ताकि वो इसका प्रयोग कर सकें। उन्हें स्टिक उपलब्ध कराने में शिक्षक व हार्दिक सहयोग प्रदान करेंगे। उन्होंने इसको पेटेंट कराने की बात पर शिक्षको से चल रहे विमर्श की भी बात कही। शिक्षक थॉमस ने बताया कि यह स्मार्ट छड़ी तरंग, परावर्तन व ध्वनि के सिद्धांत पर काम करती है और इसे बनाने में लगभग दो हजार रुपए का खर्च आया है।

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