Jharkhand: मानव तस्करी की समस्या से निजात पाने के लिए तमिलनाडु ने एक विशेष प्रकार के मॉडल को अपनाया है। तमिलनाडु मैन अल वर्क्स रेगुलेशन ऑफ इंप्लॉयमेंट एंड कंडिशन आफ वर्क्स एक्ट 1982 के तर्ज पर कानून बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। झारखंड में भी मानव तस्करी की समस्या को रोकने के लिए तमिलनाडु के मॉडल पर विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 29 सितंबर को मानव तस्करी के संबंध में समीक्षा की इस समीक्षा के बाद सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने इससे संबंधित प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था। अब इस मामले में दो नवंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होनी है। पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव, डीजी सीआईडी, महिला, बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव व ग्रामीण विकास विभाग के सचिव भी बैठक में शामिल होंगे।
सरकार कलेक्ट करेगी मजदूरों की डिटेल….
प्रवासी मजदूरों के पंचायत स्तर पर निबंधन का मॉडल तैयार किया जाएगा जिससे कि राज्य में मानव तस्करी रोकी जा सके। सरकार निबंधित प्रवासी मजदूरों का पूरा डाटा बेस तैयार कराएगी। प्रत्येक गांव का डाटा सरकार के पास होगा कि किस परिवार के कितने सदस्य बाहर नौकरी करते है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से इन परिवारों को आच्छादित किया जाएगा। और साथ ही प्रवासी मजदूरों के लिए ऐप भी विकसित किया जाएगा। राज्य सरकार यह योजना बना रही है कि जो प्रवासी मजदूर पंचायत के स्तर पर निबंधित होंगे, उन्हें निबंधन के बाद प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
हवाई मार्ग से लाने की दे अनुमति….
मानव तस्करी के पीड़ित लोगो को राज्य में लाने के लिए कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। मानव तस्करी के पीड़ितों को वापस लाने के लिए यदि दूरी 300 किलोमीटर से अधिक हो तो हवाई मार्ग से लाने की अनुमति दी जाए इसके लिए सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया है।
श्रमिको से संबंधी बनानेगे बोर्ड….
प्रवासी श्रमिकों के विषयों की मॉनटरिंग के लिए प्रवासी श्रमिक संबंधी बोर्ड बनाने का भी प्रस्ताव है। वहां प्रवासी मजदूरों से समन्वय के लिए नोडल सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है, ताकि जिन राज्यों में प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक है इन मजदूरों के विषय में दूसरे राज्य सरकारों से जरूरत पड़ने पर समन्वय स्थापित किया जा सके। 2 नवंबर को होने वाले बैठक में राज्य में भी प्रवासी मजदूरों से जुड़े विषयों पर समन्वय कैसे स्थापित किया जा सके, इसे लेकर विचार किया जाएगा।
कैसा है तमिलनाडु का मॉडल….
तमिलनाडु मैनुअल वर्क्स रेगुलेशन आफ इंप्लॉयमेंट एंड कंडिशन आफ वर्क्स एक्ट 1982 में मैनुअल लेबर के 68 प्रकार सम्मिलित हैं। मैनुअल लेबर में घरेलू कामकाज करने वालों को भी रखा गया है। झारखंड में भी इस अधिनियम को अगर लागू किया जाता है तो डोमेस्टिक वर्क्स के साथ साथ मैनुअल वर्क्स भी पंजीकृत हो जाएंगे। इस अधिनियम में एक वेलफेयर बोर्ड गठित करने का भी प्रस्ताव है। विभिन्न इकाइयों खासकर कंस्ट्रक्शन वर्क करने वाली इकाइयों से बोर्ड राशि उपलब्ध करा जा सकता है। मैनुअल व डोमेस्टिक वर्क्स के लिए विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं जैसे पेंशन, दुर्घटना, पढ़ाई-लिखाई, बच्चों की शादी इत्यादि के लिए इस राशि का उपयोग किया जा सकता है।