Jharkhand: आदिवासी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। झारखंड में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यक्रम के आयोजन के लिए धूम धाम से तैयारी शुरू हो गई है।
सभ्यताओं और रीति-रिवाजों का उत्सव है…
प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को पूरी दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदाय सामुदायिक कार्यक्रम का आयोजन करते है। जिसमे अपने सभ्यताओं और रीति-रिवाजों के उत्सव के रूप में मनाते हुए सामूहिक रूप से खुशियों का इजहार करते है। आदिवासी समुदाय प्रकृति पूजक होते है। इस दिन खुशी के मौके पर प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेत, सूरज, चंद इत्यादि इन सभी की पूजा करते है। आदिवासी समुदाय मानते है कि प्रकृति की हर एक वस्तु में जीवन होता है।
झारखंड देश में छठे स्थान पर है…
झारखंड में 32 जनजातियां हैं, जिनमें 24 प्रमुख जनजातियों की श्रेणी में है। बाकी आठ को आदिम जनजातियों की श्रेणी में रखा गया है। इनमें बिरहोर, कोरवा, असुर, परहिया, विरजिया, सौरिया पहाड़िया, माल पहाड़िया और सबर शामिल है। अनुसूचित जनजाति की आबादी के हिसाब से झारखंड देश में छठे स्थान (8.3%) पर है। राज्य में जनजातियों की संख्या 86,45,042 है, जो आबादी का 26.2% है. इसमें आदिम जनजाति 1,92,425 हैं, जो कुल आबादी का 0.72% है।
कार्यक्रम की तैयार हुई रूपरेखा…
रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गयी। 09 व 10 अगस्त 2023 को आयोजित किये जानेवाले कार्यक्रम की रूपरेखा एवं सफल संचालन को लेकर विस्तार से आला अधिकारियों ने विचार- विमर्श किया। इस बैठक के दौरान विश्व आदिवासी दिवस पर दो दिवसीय जनजातीय महोत्सव में अन्य राज्यों की जनजातीय संस्कृति, संगीत, नृत्य, साहित्य, इतिहास, कला एवं हुनर, उनकी अलग-अलग आर्थिक क्रियाकलाप, खेलकूद समेत अन्य क्षेत्रों की विशेषताओं के समायोजन पर भी चर्चा की गयी।
कई आयोजनों की जाएगी व्यव्स्था….
विभागीय सचिव ने आदिवासी कल्याण आयुक्त के कार्यालय और राम दयाल मुंडा शोध संस्थान को पूरे कार्यक्रम का खाका तैयार करने का निर्देश दिया है। इस आयोजन में रांची के उपायुक्त को भी भूमिका निभानी है। आदिवासी कल्याण आयुक्त चयनित इवेंट मैनेजर के माध्यम से पूरे कार्यक्रम का खाका तैयार करने में जुटे है। दो दिनों के महोत्सव में जनजातीय इतिहास, जनजातीय साहित्य-दर्शन और जनजातीय अर्थव्यवस्था पर सेमिनार, पैनल डिस्कशन, वर्कशॉप और फिल्म फेस्टिवल समेत कई आयोजन होंगे।