5 दिसंबर को हर वर्ष दुनिया भर में विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है। विश्व मृदा दिवस, जनसंख्या विस्तार की वजह से बढ़ रही समस्याओं को उजागर करता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य आमलोगों एवं किसानो को मिट्टी के महत्व के बारे में जागरूक करना है। किसी तरीके से मिट्टी के कटाव को कम करना ज़रूरी है ताकि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। अगर हम जल्द कार्रवाई नहीं करते हैं, तो वैश्विक खाद्य आपूर्ति और खाद्य सुरक्षा को खतरा होने के साथ मिट्टी की उर्वरता खतरनाक दर पर प्रतिकूल प्रभाव डालती रहेगी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा इस वर्ष की थीम “मिट्टी को जीवित रखें–मिट्टी की जैव विविधता का संरक्षण करें” रखा गया है। इसका उद्देश्य मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों को संबोधित करते हुए, मृदा जैव विविधता हानि से लड़ते हुए, मृदा जागरूकता बढ़ाना और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है और दुनिया भर में सरकारों, संगठनों, समुदायों और व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना है।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने हाल ही में झारखंड के 18 जिलों में किए गए अपने शोध में मिट्टी की हालत काफी खऱाब पाई थी। मृदा प्रबंधन के अभाव और अत्यधिक खाद के इस्तेमाल से राज्य की मिट्टी खऱाब हो रही है। यहाँ की मिट्टी में 35 प्रतिशत तक माइक्रो न्यूट्रएंट की कमी पाई गई है। किसान अधिक फसल की इच्छा में ज्यादा से ज्यादा यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल खेत में कर रहे हैं। वहीं सुदूर आदिवासी गांवों में मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर पाया गया है जहाँ आदिवासी लोग आज भी पारंपरिक और जैविक खेती कर रहे हैं और साथ ही जल-जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए भी सजग हैं। झारखंड में भूमि का कटाव बहुत बड़ी समस्या है। करीब 70 प्रतिशत जंगल विलुप्त हो चुके हैं। ऐसे में मृदा प्रबंधन पर काम करना जरूरी है।
2002 में अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को हर साल विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की थी। साथ ही खाद्य और कृषि संगठन (Food & Agriculture Organisation) ने भी विश्व मृदा दिवस की औपचारिक स्थापना को वैश्विक जागरुकता बढ़ाने वाले मंच के रूप में थाईलैंड के नेतृत्व में समर्थन दिया था। दिसंबर 2013 में, 68वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी एवं पहला विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर, 2014 को मनाया गया था।