डीपीएस बोकारो के लिए एक बार फिर गर्व का मौका सामने आया है. विद्यालय के तीन होनहार विद्यार्थियों को यूरोपीय संघ (EU) की ओर से एक विशेष शैक्षिक परियोजना में भाग लेने का मौका मिला है. इन छात्रों के नाम हैं—मालविन परेरा, आर्यन कुमार और अनन्या प्रिया. ये तीनों छात्र यूरोपीय संघ के इरास्मस प्लस (Erasmus+) कार्यक्रम के तहत जून महीने में इटली की यात्रा पर जा रहे हैं. यह यात्रा 12 जून से शुरू होकर करीब 20 दिनों तक चलेगी. इस दौरान ये छात्र वोकेशनल ट्रेनिंग, भाषाई कौशल और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी गतिविधियों में भाग लेंगे. इस खास मौके पर डीपीएस बोकारो में मंगलवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें तीनों छात्रों के चयन की आधिकारिक घोषणा की गई. जैसे ही उनके नामों की घोषणा हुई, पूरे सभागार में तालियों की गूंज सुनाई दी. विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि डीपीएस बोकारो का हमेशा से प्रयास रहा है कि वह अपने छात्रों को न केवल अकादमिक रूप से उत्कृष्ट बनाए, बल्कि उन्हें वैश्विक नागरिक के रूप में भी तैयार करे. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की परियोजनाएं छात्रों को एक नया दृष्टिकोण देती हैं और उनके भविष्य को निखारने में सहायक होती हैं.
पूर्वी भारत से केवल डीपीएस बोकारो को मिला यह अवसर
सबसे खास बात यह है कि पूर्वी भारत के सभी स्कूलों में से केवल डीपीएस बोकारो के इन तीन छात्रों का चयन हुआ है. चयन प्रक्रिया काफी कठोर और प्रतिस्पर्धात्मक रही. मालविन, आर्यन और अनन्या ने यूरोपीय संघ की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘चिल्ड्रेन रिक्रिएशन प्रोजेक्ट’ और ‘लैंग्वेज स्किल डवलपमेंट’ से जुड़ी परीक्षा के लिए आवेदन किया था. इसके बाद एक कठिन इंटरव्यू प्रक्रिया से गुजरते हुए छात्रों का जर्मन भाषा का ज्ञान, संवाद क्षमता और विदेशी भाषा के प्रति समर्पण का मूल्यांकन किया गया. इन सभी मापदंडों पर खरे उतरते हुए तीनों को इस अंतरराष्ट्रीय परियोजना के लिए चुना गया. इन छात्रों को यूरोपीय संघ द्वारा विशेष रूप से आमंत्रण भेजा गया है. इसके अंतर्गत उनकी यात्रा, रहने-खाने, प्रशिक्षण आदि सभी खर्च यूरोपीय संघ खुद उठाएगा. इससे पहले भी ये तीनों छात्र शिलॉन्ग और गोवा में आयोजित जर्मन भाषा संबंधित कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं, जिससे इनकी भाषाई दक्षता और समर्पण सिद्ध हो चुका है.
क्या होगा इटली की यात्रा में खास
यह यात्रा सिर्फ घूमने की नहीं, बल्कि सीखने और विकसित होने की भी है. 12 जून को दिल्ली से इटली के लिए रवाना होने के बाद, अगले दिन एक ब्रीफिंग से कार्यक्रम की शुरुआत होगी. इस ब्रीफिंग में छात्रों को पूरी परियोजना की योजना, उनके कर्तव्य और प्रशिक्षण की प्रक्रिया से अवगत कराया जाएगा. इसके बाद ‘चिल्ड्रेन रिक्रिएशन प्रोजेक्ट’ के तहत उन्हें बच्चों के एक विशेष कैंप में स्वयंसेवक के रूप में काम करने का मौका मिलेगा. इस दौरान उन्हें टीमवर्क, नेतृत्व कौशल, संचार कला, और प्रबंधन के गुर सिखाए जाएंगे. अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों के साथ कार्य करते हुए वे विभिन्न संस्कृतियों को समझ पाएंगे और उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे. इसके अलावा, उन्हें जर्मन भाषा के विशेष प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेने का मौका मिलेगा, जहां भाषा की बारीकियों के साथ-साथ संवाद कौशल पर भी ध्यान दिया जाएगा. सांस्कृतिक आदान-प्रदान के तहत वे विभिन्न देशों की परंपराओं, साहित्य और जीवनशैली को जानने और समझने का अनुभव प्राप्त करेंगे. छुट्टियों में उन्हें इटली के प्रसिद्ध शहरों और जर्मनी के म्यूनिख शहर की यात्रा भी कराई जाएगी.
क्या है इरास्मस प्लस प्रोग्राम?
इरास्मस प्लस यूरोपीय संघ का एक महत्वाकांक्षी और बहुप्रशंसित शैक्षिक कार्यक्रम है. इसका उद्देश्य यूरोपीय देशों के बीच शिक्षा, प्रशिक्षण, युवा और खेल के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है. इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों, युवाओं, शिक्षकों और प्रशिक्षकों को विदेश में अध्ययन, प्रशिक्षण या कार्य का अवसर प्रदान किया जाता है. साथ ही यह उच्च शिक्षा संस्थानों, व्यावसायिक प्रशिक्षण संगठनों और युवा संगठनों को आपसी सहयोग करने के लिए प्रेरित करता है. यह कार्यक्रम वैश्विक नागरिकों के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो युवाओं को न केवल पेशेवर रूप से बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाता है.