मेडिकल काॅलेजाें में शिक्षकाें की कमी को पूरा करने के लिए सेवानिवृति की उम्र 67 साल से बढ़ाकर 70 साल करने की योजना चल रही है। सेवानिवृति की उम्र बढ़ाने पर सरकार का कहना है कि मेडिकल काॅलेजाें में बड़ी संख्या प्राेफेसर और एसाेसिएट प्राेफेसर के पद रिक्त है। आने वाले तीन महीने में रिम्स, एमजीएम जमशेदपुर और धनबाद मेडिकल काॅलेज के करीब 30 प्राेफेसर और सहायक प्राेफेसर रिटायर हाेने वाले हैं। डाॅक्टरों के लगातार हो रहे सेवानिवृति से समस्या ये उत्पन्न हो रही है कि उच्च शैक्षणिक पदाें पर मेडिकल शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। जिसकी वजह से कई मेडिकल काॅलेजाें में एमबीबीएस सीटाें की संख्या नहीं बढ़ रही है। इससे कई मेडिकल काॅलेजाें काे मान्यता मिलने में भी दिक्कत हाे रही है।
चिकित्सकों के रिटायरमेंट के संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस विषय को लेकर विभागीय सचिव केके साेन ने भी अपना समर्थन दे दिया है। जिसके बाद मंजूरी के लिए ये प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पास भेजा गया है। स्वास्थ्य मंत्री की सहमति के बाद इसे वित्त विभाग काे भेजा जाएगा। इन सभी प्रक्रियाओं के बाद ये प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
राज्य में फिलहाल छह मेडिकल काॅलेज हैं। इनमें रिम्स, एमजीएम जमशेदपुर, धनबाद मेडिकल काॅलेज और पलामू, दुमका व हजारीबाग मेडिकल काॅलेज शामिल हैं। वहीं सरकार काेडरमा, चाईबासा, खूंटी, पाकुड़ और बाेकाराे में भी एक-एक मेडिकल काॅलेज खाेलने की याेजना में है। लेकिन मेडिकल काॅलेजाें में मेडिकल शिक्षकाें की कमी के कारण काॅलेजाें का संचालन में मुश्किल आ रही है। इसी कारणवश ही एनएमसी ने पलामू, दुमका और हजारीबाग मेडिकल काॅलेज में नामांकन पर राेक लगा दी है। इस समस्या को हल करने के लिए राज्य के मेडिकल काॅलेजाें में अनुबंध में नियुक्ति के लिए भी नियुक्ति नियमावली बनाई जा रही है। इस नियमावली की रूपरेखा उत्तराखंड के तर्ज पर तैयार किया गया है। इसमें अनुबंध पर नियुक्त हाेने वाले डाॅक्टराें काे अधिक वेतन-भत्ता देने का प्रावधान किया जा रहा है, ताकि डाॅक्टर राज्य के मेडिकल काॅलेजाें में काम करने के लिए आगे आएं।
वहीं उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में मेडिकल काॅलेज के बाद झारखंड तीसरा ऐसा राज्य होगा जहां मेडिकल शिक्षकाें की सेवानिवृत्ति उम्र सीमा 70 साल कर दी है। उधर, बिहार में मेडिकल शिक्षकाें की सेवानिवृत्ति उम्रसीमा 67 साल ही है। हालांकि एमसीआई की अनुमति पर सरकार ने रिटायरमेंट के बाद 3 साल उन्हें संविदा पर रखने का फैसला लिया है।