रांची के जुमार नदी तट पर एक साथ जलाई गईं 33 शवों की च‍िताएं..

रांची: हिंदू परंपरा और धर्म ग्रंथों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को मोक्ष या मुक्ति तब तक नहीं मिलती है, जब तक उसे मुखाग्नि नहीं दी जाती है, यानि जब तक किसी भी मृत शरीर का अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान के साथ नहीं किया जाता है, तबतक उसे मुक्ति नहीं मिलती है। लेकिन आज के समय में ऐसे कई लोग होते हैं, जिनका अंतिम संस्कार करने के लिए उनका कोई अपना नहीं होता है, और कई लोग तो जानबूझकर छोड़ देते हैं। ऐसे में एक सामाजिक संस्था ऐसी हैं जो ऐसे मोक्ष के काम कर रही है, ऐसे लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रही है, जो या तो लावारिस है, या फिर उन्हें अपनों ने छोड़ दिया है।

आज रांची में मुक्ति संस्था ने ऐसे ही 33 लावारिस शवों का पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया। प्रात: 9 बजे से ही सौरभ बथवाल, हरीश नागपाल, संदीप पनेजा ने मिलकर नगर निगम के सहयोग ने इन शवों का अंतिम संस्कार जुमार नदी के तट पर किया। अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम ने लकड़ी उपलब्ध कराई और शवों को संस्था के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया ने मुखाग्नि दी। बता दें कि 7 साल में मुक्ति संस्था ने 1259 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। सभी शव रिम्स के शव गृह में थे, जिनपर एक महीने में किसी भी परिजन ने दावा पेश नहीं किया।

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