झारखंड में बुनकरों की स्थिति दयनीय, जूझ रहे हैं आर्थिक तंगी से..

Jharkhand: हाथ से बनाये गये उत्पादों का अच्छा बाजार होने पर भी आज यह काम झारखंड के कोल्हान, पलामू, दक्षिणी और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के करीब 6000 परिवारों तक सिमट कर रह गया है। इन उत्पादों पर जीएसटी की लागत तो लगती है पर इनके बढ़ाओ के लिए राज्य सरकार से मदद ना के बराबर मिलती है। केंद्र से मिलने वाला सहयोग भी बंद हो चुका है। ऐसे में कारीगरों की आमदनी घटकर आदि हो गई है।

कम पैसों में घर चलना है मुश्किल…
करीब 72 सोसाइटी चल रही है। कई मोहल्ले के लोग सीधे तौर पर इस पेशे से जुड़े है। सोसाइटी के इरबा स्थित सेंटर पर काम करनेवाली अजमेरी खातून ने बताया रोजाना 8 घंटे काम करने पर उन्हें 400 व 500 रूपय ही मिल पाता है। आज की महंगाई के हिसाब से यह पैसे बहुत ही काम है हालांकि संस्था हमें पूर्ण रूप से मदद करती है। जरूरत में हमलोगों के साथ खड़ी रहती है। सफीना, सबीला खातून जैसी कई महिलाएं इस पेशे से जुड़कर घर को सहयोग कर रही है।

संस्थाओं के सामने भी बढ़ी चुनौती ….
बुनकरों को एकजुट कर रोजगार उपलब्ध करानेवाली संस्थाओं के सामने भी संकट है। काम की कमी के कारण पैसे की तंगी हो रही है। इससे नयी तकनीक से जोड़ने में परेशानी हो रही है। बाजार में टिके रहने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है। जिसमें कई बार वह पीछे रहे जा है।

बुनकरों को मिल रहा है प्रशिक्षण….
‘द छोटानागपुर हैंडलूम एंड खादी वीवर्स को-ऑपरेटिव यूनियन लि, इरबा’ राज्य में बुनकरों को संगठित कर रोजगार देने में लगी हुई है।
इरबा स्थित सोसाइटी में बुनकरों को चार माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही प्रशिक्षण पानेवालों को रोजाना 200 रुपये स्टाइपेंड भी दिया जाता है। प्रशिक्षण, उत्पादन और प्रबंधन का काम देखनेवाले बताते हैं कि यह काम मेहनत और तकनीकी के मेल का है। सिखाने वाले वर्कर्स में 10 में से चार या पांच लोग ही इसमें दक्ष हो पाते है। कुछ लोग तो बीच में ही प्रशिक्षण छोड़कर चले जाते है। इरबा के माध्यम से चलनेवाली बुनकर सोसाइटी को नयी तकनीक से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। पुरानी मैनुअल मशीन के साथ- साथ आठ नयी ऑटोमेटिक मशीनें भी लायी गयी है। ऑटोमेटिक मशीन के द्वारा आमदनी बढ़ सकती है क्योंकि एक ऑटोमेटिक मशीन आठ घंटे में 8 से 10 चादर तैयार करती है। वही मैनुअल मशीन में तीन- -चार चादर ही तैयार कर पाती है। लेकिन ऑटोमेटिक मशीन मशीन की लागत अधिक होने से सोसाइटी की पहुंच से दूर हो जा रही है।

ऑनलाइन भी आ रहे हैं उत्पादन….
बुनकरों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन सेल का भी सहारा लिया जा रहा है। इसके द्वारा उत्पादन अब ऑनलाइन में भी आ रहे है।
इसके लिए ऑनलाइन मार्केटिंग करनेवाली संस्थाओं से संपर्क किया गया है। इसके अतिरिक्त रांची, कोलकाता और बोकारो में एक्सक्लूसिव यूनिट है। आठ चलंत वाहन है। एयरपोर्ट, धनबाद और जमशेदपुर में एक-एक बिक्री केंद्र खोलने की योजना है।