टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड नए बिजनेस अवसर की तलाश युद्ध स्तर पर कर रहा है, जहां पूंजी को समझदारी से आवंटित किया जा सके। टाटा समूह अब कर्ज के जरिए से 40,000 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए शेयरधारक की मंजूरी का इंतजार कर रहा है, जो बड़े पैमाने पर बांड और गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्रों (एनसीडी) होंगे। कंपनी इस रकम का इस्तेमाल अपने वित्तीय सेवा कारोबार, रियल एस्टेट और इन्फ्रा कारोबार में भी करेगी। टाटा समूह अपना सुपरऐप पेश करने की तैयारी में है, जो समूह की सभी वस्तुओं व सेवाओं को एक छत के नीचे ला देगा और वह नए ब्रांडों व डिजिटल रिटेल कंपनियों के अधिग्रहण में भारी निवेश कर रही है।
हाल में समूह ने सेमीकंडक्टर कारोबार मेंं उतरने की घोषणा की है क्योंकि वैश्विक बाजार में चिप की किल्लत है, जिसका इस्तेमाल महंगी कारों व पावर स्टेशनों में किया जाता है। टाटा संस एनसीडी या बॉन्ड का इस्तेमाल कर रही है क्योंकि इसकी क्रेडिट रेटिंग ज्यादा होती है और एलआईसी समेत अग्रणी संसस्थागत निवेशक इन प्रतिभूतियों में भारी निवेश करते हैं।
पिछले साल समूह ने कई नए व्यवसायिक क्षेत्र में कदम बढ़ाए। जुलाई में टाटा संस ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, उपयोगिताओं और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए नेटवर्किंग उत्पादों के निर्माण के व्यवसाय में एक खिलाड़ी, तेजस नेटवर्क्स में 43.3% हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया। यह एक सिर्फ डील नहीं है। कई लोगों को समूह की कंपनियों में से एक से लेनदेन की अगुवाई करने की उम्मीद की होगी। इसके बजाय, यह टाटा संस था जिसने होल्डिंग कंपनी से स्पष्ट इरादे का संकेत दिया और अधिक मूल्यवान समूह बना। इसके एक से अधिक उदाहरण सामने आ चुके हैं।
अब टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड बॉन्ड या गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्रों (एनसीडी) के जरिये 40,000 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मांग रही है। शेयरधारकों को भेजे गए एजीएम नोटिस से यह जानकारी मिली। शेयरधारक इस प्रस्ताव पर 14 सितंबर को कंपनी की सालाना आम बैठक में मतदान करेंगे, जो कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन होगा। इस प्रस्ताव से कंपनी को अपनी बढ़त योजना के लिए जब भी रकम की दरकार होगी, वह बाजार में उतरेगी। कंपनी की योजना आगामी महीनों में एयर इंडिया के अधिग्रहण में निवेश करने की है, जो भारत सरकार अपनी विनिवेश योजना के तहत बेच रही है।
रकम जुटाने के अलावा शेयरधारक निदेशक के तौर पर सौरभ अग्रवाल और राल्फ स्पेत की पुनर्नियुक्ति पर मतदान करेंगे जबकि स्वतंत्र निदेशक के तौर पर हर्ष मरीवाला की पुनर्नियुक्ति पर मतदान करेंगे। मरीवाला को इस साल मई में साल 2024 तक का तीन साल का दूसरा कार्यकाल मिला है। यह नोटिस एन चंद्रशेखरन के दोबारा चुनाव पर मौन है, जिनका कार्यकाल अगले साल खत्म हो रहा है। टाटा संस ने चंद्रा की पुनर्नियुक्ति पर टिप्पणी नहीं की।