झारखंड राज्य के होमगार्ड के 20 हजार जवानों को समान काम के बदले समान वेतन मिलेगा. यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए दिया. सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय होमगार्ड जवानों के संघर्ष की बड़ी जीत है.
होमगार्ड जवानों की जीत
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा कि 22 सितंबर 2023 के आदेश में किसी भी प्रकार की पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं है. इस आदेश के अनुसार, झारखंड राज्य सरकार को होमगार्ड के जवानों को समान काम के बदले समान वेतन देना होगा.
मामले की पृष्ठभूमि
झारखंड होमगार्ड वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव राजीव कुमार तिवारी, राजन मंडल, मयूरेंद्र कुमार, और राजेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष समान वेतन की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. होमगार्ड जवानों की यह याचिका एक लंबे समय से विचाराधीन थी. उन्होंने अपने दावे में कहा था कि वे नियमित रूप से कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, लेकिन उन्हें उनके काम का उचित वेतन नहीं मिलता है.
उच्च न्यायालय का आदेश
राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि होमगार्ड जवानों को समान वेतन देने से राज्य के वित्तीय संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि होमगार्ड जवान अस्थायी कर्मचारी हैं और उन्हें स्थायी कर्मचारियों के बराबर वेतन नहीं दिया जा सकता. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि समान काम के लिए समान वेतन एक बुनियादी अधिकार है और राज्य सरकार को इसका पालन करना होगा.
उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका पर सुनवाई
झारखंड उच्च न्यायालय में भी अवमानना की एक याचिका पर सुनवाई चल रही है. इस मामले में, अजय प्रसाद ने अन्य साथियों के साथ याचिका दायर कर कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है. इस पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
होमगार्ड जवानों के संघर्ष
होमगार्ड जवानों ने अपने अधिकारों के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है. वे नियमित रूप से कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, चाहे वह कानून व्यवस्था बनाए रखना हो या आपदा प्रबंधन. वे अपने काम में पूरे समर्पण के साथ लगे रहते हैं, लेकिन उन्हें उनके काम का उचित वेतन नहीं मिलता था. समान वेतन की मांग को लेकर होमगार्ड जवानों ने कई बार प्रदर्शन किए और अपनी आवाज को बुलंद किया. उन्होंने सरकार और न्यायपालिका से अपनी मांगों को लेकर अपील की और अंततः उनकी मेहनत रंग लाई.
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि समान काम के लिए समान वेतन एक बुनियादी अधिकार है और राज्य सरकार को इसका पालन करना होगा. अदालत ने यह भी कहा कि होमगार्ड जवानों को उनके काम का उचित वेतन मिलना चाहिए, ताकि वे अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें और अपने काम में और अधिक समर्पण के साथ जुट सकें.
राज्य सरकार की जिम्मेदारी
इस आदेश के बाद, राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह तुरंत इस आदेश का पालन करे और होमगार्ड जवानों को समान वेतन प्रदान करे. यह आदेश होमगार्ड जवानों के संघर्ष की जीत है और उनके अधिकारों को मान्यता देने का एक महत्वपूर्ण कदम है.