रांची: हेमंत सोरेन सरकार ने फैसला लिया है कि इस बार भी सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां रद रहेंगी। इस दौरान कक्षा एक से 12वीं तक की विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी, ताकि छात्रों की पढ़ाई पूरी हो सके। उनका अधूरा पाठ्यक्रम पूरा हो सके। इस अभियान को सरकार ने ‘निदानात्मक शिक्षा’ नाम दिया है। सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस दिशा में अपनी तमाम तैयारियां पूरी कर ली हैं। झारखंड के सभी 24 जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इसकी सूचना भी भेज दी गई है। विभाग ने कहा है कि अप्रैल से जून महीने के बीच कक्षा एक से 12वीं तक स्टूडेंटस के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएं। यह कदम कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद होने की वजह से उठाया गया है। मालूम हो कि कोरोना के कारण झारखंड में सभी सरकारी स्कूल लंबे समय तक बंद थे। इस कारण छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इस नुकसान की भरपाई के लिए विशेष कक्षाएं आयोजित करने की पहल की जा रही है।
निदानात्मक शिक्षा नाम से चलाया जाएगा अभियान..
निदानात्मक शिक्षा नामक इस अभियान के तहत शिक्षक स्कूल आएंगे और कक्षा एक से 12वीं तक के छात्रों को पढ़ाएंगे। इसके लिए विभाग की ओर से 40 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रविधान किया गया है। इतना ही नहीं विभाग ने शैक्षणिक सत्र को तीन महीने के लिए बढ़ा भी दिया है। यानी अब शैक्षणिक सत्र 31 मार्च की जगह 30 जून को खत्म होगा। इन तीन महीनों में छात्रों के कोर्स पूरा कराने की जवाबदेही शिक्षकों की होगी। अभिभावकों से भी अपील की गई है कि वह अपने बच्चों को इस दरम्यान स्कूल अवश्य भेजें।
कोरोना के कारण बंद थे सभी सरकारी स्कूल..
विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि विशेष कक्षाओं के लिए अलग से पाठ्य सामग्री तैयार की जाए। मालूम हो कि कोरोना के कारण झारखंड में बीते दो वर्षों से सरकारी स्कूल बंद थे। कक्षाएं स्थगित रहने से कोर्स अधूरे रह गए हैं। लाकडाउन पूरी तरह से अब खत्म हो गया है। सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूल भी पूरी तरह से खुल चुके हैं। उल्लेखनीय है कि सरकारी ने कोरोना काल में आनलाइन शिक्षा देने की पहल की थी, लेकिन बड़ी संख्या में गांव के छात्र आनलाइन शिक्षा से इसलिए वंचित रह गए, क्योंकि उनके पास साधन का अभाव था। प्राइवेट स्कूलों में आनलाइन कक्षाएं आयोजित होने से छात्रों की पढ़ाई जारी रही, लेकिन सरकारी स्कूल के छात्र इसमें पिछड़ गए हैं। अब सरकार की कोशिश है कि इन छात्रों की पढ़ाई भी मुकम्मल हो जाए।