झारखंड के दो बड़े नेता जो राजनीति में हैं विरोधी, लेकिन एक ही दिन मनाते हैं जन्मदिन..

झारखंड की राजनीति के दो अहम शख्सियत का आज जन्मदिन है| राजनीति में दोनों एक दूसरे के धूर विरोधी हैं लेकिन राज्य में दोनों ने ही अहम भूमिका निभाई है| हम बात कर रहे हैं, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन की| जहां 63 वर्ष के हुए बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के पहले मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था वहीं 77वां जन्मदिन मना रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं|

दोनों की पार्टियों ने अपने-अपने नेता के जन्मदिन को खास अंदाज में मनाया| एक तरफ झामुमो अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन ने अपने जन्मदिन पर 77 पाउंड का केक काटा| इस मौके पर उनके उनके सुपुत्र व राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत उनके दूसरे पुत्र बसंत सोरेन और बड़ी बहू सीता सोरेन भी मौजूद रहे| इस मौके पर सीएम हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन के पांव छूकर उनसे आशीर्वाद लिया साथ ही उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना की।

उधर, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का भी जन्मदिन भी कार्यकर्ताओं ने बेहद उत्साह के साथ मनाया| इस मौके पर तमाम छोटे-बड़े नेताओं की उपस्थिति के बीच उन्होंने केक काटा| तालियों की गड़गड़ाहट के बीच केक कटा, एक दूसरे को खिलाया और खाया भी|

बात करें दोनों नेताओं की जिंदगी की तो आदिवासी नेता के रूप में लोकप्रिय शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ में हुआ था| गुरूजी के नाम से मशहूर शिबू सोरेन ने अपने राजनैतिक करियर की शुरूआत 1970 से की थी| अपने जीवन के संघर्ष के बार में बात करते हुए वो बताते हैं कि अपने पिता की मौत के बाद उन्होंने लकड़ी बेच कर परिवार का भरण-पोषण किया था|

झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने पहला लोकसभा चुनाव 1977 में लड़ा था, लेकिन उस वक्त उन्हें जीत नहीं मिली| तीन साल बाद, 1980 में हुए चुनाव में उन्होंने एक बार फिर किस्मत आजमाई और इस बार वो जीते भी| इसके बाद वो लगातार 1989, 1991, 1996 और 2002 में चुनाव जीते। यूपीए की मनमोहन सरकार में वो कोयला मंत्री भी रहे|

अब बात करें, भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी की तो उनका जन्म 11 जनवरी 1958 में गिरिडीह के कोडिया बैंग गांव में हुआ था| अपनी पढ़ाई-लिखई पूरी उन्होंने प्राइमरी स्कूल में शिक्षक की नौकरी की। लेकिन हमेशा से समाज सेवा के प्रति लगाव होने के कारण उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और राजनीति सफर की शुरूआत की। बाबूलाल मरांडी विश्व हिंदू परिषद में काफी सक्रिय रहे। 1990 में वो भाजपा के संथाल परगना के संगठन मंत्री बनाए गए। 1998 के चुनाव में उन्होंने शिबू सोरेन को शिकस्त दी और फिर 1999 में उनकी पत्नी रूपी सोरेन को हराकर अपना राजनैतिक कद और ऊंचा किया।

बाबूलाल मरांडी केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री भी रहे। इसके बाद नवंबर 2000 में जब अलग राज्य के रूप में झारखंड की स्थापना हुई तो बीजेपी आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। हालांकि साल 2003 में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद उन्होंने सत्ता अर्जुन मुंडा को सौंप दी थी। इसके बाद दलगत मतभेद के कारण बाबूलाल मरांडी ने 2016 में झारखंड विकास मोर्चा नाम से अपनी एक अलग पार्टी बनाई। लेकिन अब एक बार फिर 2020 में उन्होंने झाविमो का भाजपा में विलय कर दिया।