झारखंड में गिरता जा रहा है बेटियों का लिंगानुपात..

Jhupdate: बेटी दिवस के अवसर पर बेटियों के लिए आयोजन आयोजित किए गए होंगे है, उनके ऊपर स्लोगन लिखे गए होंगे, निबंध लिखे गए होंगे, कविताएं बोली गई होगी, कई नारे लगाए गए होंगे यहां तक बेटियों की स्थिति सुधारने के लिए गई वादे भी किए गए होगे। लेकिन दिवस बीतने के बाद यह सारी बातें कहां जाती है। झारखंड में बेटियों की स्थिति दिन पर दिन चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है। बेटों की तुलना में कम लिंगानुपात और एनीमिया से ग्रसित किशोरिया झारखंड में चिन्तन का विषय बना हुआ है।

1000 बेटों पर 899 बिटिया…
एनएफएचएस-5 के द्वारा दिये गये आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में झारखंड में 1000 बेटों पर 899 बेटियों का जन्म हुआ। जबकि वर्ष 2015-16 में 1000 बेटों पर 919 बेटियां का जन्म हुआ था। दोनों वर्षों की तुलना की जाए तो वर्ष 2020-21 की स्थिति एनएफएचएस-5 के द्वारा चिंता जनक बताई गई है। सरकार के ऊपर यह चिंता का विषय मंडरा रहा है की शहरों में ज्यादा शिक्षित लोग होने के बावजूद बेटियों के लिंगानुपात की स्थिति सुधारने का नाम नहीं ले रही है। एनएफएचएस-5 द्वारा दिए गए आंकड़ों में शहरी क्षेत्र में 1000 बेटों पर मात्र 781 बेटियों ने जन्म लिया। वहीं, ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 926 है।

एनीमिया से पीड़ित …
दूसरी तरफ राज्य में किशोरियों की बड़ी आबादी एनीमिया से ग्रसित है। एनीमिया से पीड़ित किशोरियों स्थिति सुधारने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किया जा रहे है। लेकिन फिर भी स्थिति में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है। एनएफएचएस-5 के आंकड़े बताते है कि 15 से 19 वर्ष की 65.08 फीसदी किशोरी एनीमिया से पीड़ित है। जबकि एनएफएचएस-4 में यह आंकड़ा 65 फीसदी ही था। तथा ग्रामीण इलाकों में यह स्थिति 66.05 फीसदी पायी गयी हैं।

सर्वाइकल कैंसर से होगा बचाव…. सर्वाइकल कैंसर की बीमारी महिलाओं में तेजी से हो रही है। किशोरावस्था में ही बेटियों को इसका टीका लगा दिया जाये तो इस सर्वाइकल कैंसर से बचाया जा सकता है। महिला रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पा पांडेय ने बताया कि 2 हजार के खर्चे से सर्वाइकल कैंसर का टीका नौ से 14 साल की उम्र की किशोरियों को में लगाया जाता है।