झारखण्ड विधानसभा में सरना आदिवासी धर्म कोड को आज के विशेष सत्र में सर्वसम्मति से पास किया गया। अब इसे केंद्र सरकार को भेजकर 2021 की जनगणना में सरना कोड को एक अलग कॉलम में शामिल करने के लिए राज्य सरकार प्रस्ताव भेजेगी।
इस प्रस्ताव के पेश होने पर विपक्ष ने चर्चा की मांग की थी। चर्चा शुरू होते ही विपक्ष से भाजपा के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, अमर बावरी समेत कई विधायकों ने इस प्रस्ताव से “अथवा” हटाने के लिए संशोधन पेश किया था। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए 1961 में जनगणना के कॉलम में “अथवा” के विकल्प को हटाए जाने वाली बात कही। दूसरी तरफ विधायक बंधु तिर्की ने भी “आदिवासी” शब्द को हटाने की बात कही। दोनों ही पक्षों के बीच विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सरकार संवेदनशील है और जन भावनाओं को साथ लेकर चलती है। संशोधन पर सहमति जताते हुए उन्होंने सरना आदिवासी धर्म कोड को प्रस्तुत किया। इसके बाद विधानसभा में सरना कोड पास किया गया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना आदिवासी धर्म कोड को जनगणना 2021 में शामिल करने के प्रस्ताव को सत्ता पक्ष के सभी विधायकों के साथ केंद्र सरकार और गृह मंत्री से मिलकरअनुरोध करने की बात कही। जिससे पुरे देश में यह संदेश जाए कि झारखण्ड सरकार देश के आदिवासियों के लिए संवेदनशील है। झारखण्ड सरकार के इस प्रस्ताव का भाजपा ने स्वागत करते हुए समर्थन किया है।
सरना आदिवासी धर्म कोड के पास किये जाने की ख़ुशी में आदिवासी संगठनों ने अल्बर्ट एक्का चौक पर जम कर जश्न मनाया।