शिक्षकों की भूमिका विकसित भारत के निर्माण में सबसे अहम: सीओई प्रमुख रवि प्रकाश….

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के सफल क्रियान्वयन और शिक्षकों को नई शिक्षण पद्धतियों से अवगत कराने के उद्देश्य से डीपीएस बोकारो में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन सीबीएसई के पटना उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के तत्वावधान में किया जा रहा है. यह कार्यक्रम भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा संचालित सचिवालय प्रशिक्षण एवं प्रबंधन संस्थान (आईएसटीएम) के सहयोग से हो रहा है. इस कार्यशाला में बोकारो और आसपास के जिलों के विभिन्न विद्यालयों से 60 से अधिक प्राचार्य, उपप्राचार्य और वरिष्ठ शिक्षक भाग ले रहे हैं. कार्यक्रम का उद्घाटन विद्यालय के कालिदास कला भवन में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बीच किया गया. इस अवसर पर सीबीएसई पटना सीओई के प्रमुख रवि प्रकाश, अनुभाग अधिकारी राघवेन्द्र कुमार, आईएसटीएम के उप निदेशक प्रमोद कुमार जायसवाल, पश्चिम बंगाल सरकार के संयुक्त निदेशक (कार्मिक-प्रशासन) शुभ्राज्योति रे, जिला प्रशिक्षण समन्वयक पी. शैलजा जयकुमार तथा डीपीएस बोकारो के प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे अतिथियों ने संयुक्त रूप से संपन्न किया. स्वागत परंपरा के तहत विद्यार्थियों ने अतिथियों को पौधा भेंट कर सम्मानित किया. इसके बाद छात्रों ने स्वागत गीत, विद्यालय गीत और गणेश वंदना पर आधारित आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर वातावरण को उल्लासमय बना दिया.

शिक्षा नीति 2020 और शिक्षकों की भूमिका

डीपीएस बोकारो के प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार ने अपने स्वागत संबोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में सहायक बताते हुए कहा कि यह नीति कुशल, हुनरमंद और प्रतिभावान नई पीढ़ी तैयार करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों को सशक्त बनाना है ताकि वे भविष्य की पीढ़ी को बेहतर मार्गदर्शन दे सकें. उन्होंने शिक्षकों को देश के भविष्य-निर्माण का वास्तुकार बताते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय उत्थान के लिए अत्यंत आवश्यक हैं. सीबीएसई पटना सीओई के प्रमुख रवि प्रकाश ने सीबीएसई निदेशक (प्रशिक्षण) मनोज कुमार श्रीवास्तव का संदेश पढ़ते हुए कहा कि सीबीएसई पूरे भारत और विदेशों में भी इस प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है. उन्होंने बताया कि आईएसटीएम के सहयोग से 15,000 से अधिक सशक्त रिसोर्स पर्सन तैयार किए जा रहे हैं, जो भविष्य में शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाएंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ विजन को साकार करने में शिक्षकों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को सक्षम और प्रभावी बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यशालाओं की बड़ी भूमिका है, जिससे एनईपी 2020 के अनुरूप शिक्षण पद्धतियों में सुधार किया जा सके.

रिसोर्स पर्सन ने दिलाई शपथ

आईएसटीएम के उप निदेशक प्रमोद कुमार जायसवाल ने सभी प्रतिभागियों को विकसित भारत के निर्माण में हरसंभव योगदान देने की शपथ दिलाई. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों के आत्म-मूल्यांकन और सतत ज्ञानार्जन की दिशा में बेहद उपयोगी होते हैं. पश्चिम बंगाल सरकार के संयुक्त निदेशक शुभ्राज्योति रे ने भी कार्यशाला की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शिक्षकों को नई तकनीकों और आधुनिक शिक्षण पद्धतियों से परिचित कराने का सुनहरा अवसर है. इसके बाद प्रतिभागियों को दो बैच में विभाजित कर प्रशिक्षकों ने पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विषय-वस्तु पर विस्तृत जानकारी दी. पहले दिन प्रशिक्षकों के गुण, प्रशिक्षण के विभिन्न आयाम, अध्यापन विधि, कौशल-आधारित शिक्षण पद्धति, विभिन्न गतिविधियां, मूल्यांकन तकनीक और एक्सरसाइज पर गहन चर्चा की गई. प्रशिक्षकों को व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण-कौशल सुधारने पर बल दिया गया.

दूसरे दिन की तैयारियां

प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे और अंतिम दिन शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन, इसके विविध पहलुओं और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी. शिक्षकों को समूहों में विभाजित कर विषयवार विश्लेषण किया जाएगा. इसके साथ ही प्रशिक्षकों के अनुभव साझा करने और प्रश्नोत्तर सत्र का भी आयोजन किया जाएगा, जिससे प्रतिभागियों को अपनी शंकाओं का समाधान मिल सके. इस दो-दिवसीय कार्यशाला से शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों की जानकारी मिलेगी और वे शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम होंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×