जेपीएससी के संशोधित परिणाम में 1044 नए अभ्यर्थियों का किया जाएगा चयन, जल्द जारी होगा परिणाम..

सातवीं से दसवीं जेपीएससी प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित रिजल्ट जल्द जारी होगा। संशोधित रिजल्ट में 1044 और अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए जाएंगे। मंगलवार को जेपीएससी की ओर से हाईकोर्ट को यह जानकारी दी गयी और संशोधित रिजल्ट जारी करने की अनुमति मांगी गयी। इस पर चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने कहा कि इस मामले में जेपीएससी ने पहले ही गलती स्वीकार की थी। जब एक बार गलती हो गयी तो उसे सुधारा जाना चाहिए और संशोधित रिजल्ट जारी किया जाना जरूरी है। इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। अदालत ने जेपीएससी के शपथपत्र के आधार मानते हुए संशोधित रिजल्ट को लेकर दायर सभी याचिकाएं निष्पादित कर दी।

बता दें कि जेपीएससी ने पूर्व में जारी पीटी रिजल्ट में आरक्षण दिया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। इस पर अदालत ने जेपीएससी और सरकार से आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। यह बताने को कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ दिया गया है या नहीं। सातवीं जेपीएससी में कोटिवार कितनी सीटें थीं। आरक्षित श्रेणी के कितने और सामन्य श्रेणी के कितने अभ्यर्थी चयनित हुए हैं।

11 फरवरी को जेपीएससी की ओर से शपतपत्र दाखिल कर स्वीकार किया गया कि प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट जारी करने में गलती हुई है। इसमें आरक्षण दिया गया है। 25 जनवरी को जेपीएससी ने शपथपत्र दाखिल कर पीटी रिजल्ट में गलती की बात स्वीकार की थी और तीन सप्ताह में संशोधित रिजल्ट निकालने की बात कही थी। आायोग ने 28 जनवरी से होने वाली मुख्य परीक्षा भी स्थगित कर दी थी।

क्या है मामला?
जेपीसएससी सातवीं से दसवीं तक के प्रारंभिक रिजल्ट में गड़बड़ी को कुमार संयम ने चुनौती दी थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि सातवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिया गया है, जो गलत है। प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने की शर्त परीक्षा के लिए प्रकाशित विज्ञापन में नहीं थी। सरकार ने प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने की नीति नहीं बनायी है जिसके अनुसार प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ दिया जा सके। उन्होंने प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिए जाने का दावा करते हुए कहा कि सामान्य श्रेणी की 114 सीटें थीं। नियमानुसार 15 गुना परिणाम जारी होने चाहिए। ऐसे में सामान्य श्रेणी के 1710 अभ्यर्थियों का चयन होना चाहिए। लेकिन सिर्फ 768 उम्मीदवारों का ही चयन किया गया। इससे स्पष्ट है कि पीटी रिजल्ट में आरक्षण दिया गया है।

प्रार्थी ने अपनी याचिका में वर्ष 2012 के हाईकोर्ट के खंडपीठ के कई आदेशों का हवाला भी दिया था । प्रार्थी ने कहा था कि गुलाम सादिक के मामले में 16 जून 2021 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि झारखंड सरकार के अनुसार जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने की कोई नीति है। वहीं, वर्ष 2015 में लक्ष्मण टोप्पो के मामले में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा में झारखंड सरकार की नीति आरक्षण देने की नहीं है। कोर्ट आरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकता। याचिका में कहा गया है कि सामान्य श्रेणी में 114 सीट थी। इसके पंद्रह गुना (1710) परिणाम जारी होना चाहिए, लेकिन मात्र 768 का ही चयन किया गया है। इससे प्रतीत होता है कि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिया गया है।