झारखंड के बोकारो जिले के राधा गांव पंचायत से एक सुखद खबर सामने आई है। यहां के मुखिया स्वरूप दास के अथक प्रयासों से गांव में वर्षों पुरानी पानी की समस्या का समाधान हो गया है। उन्होंने सौर ऊर्जा से संचालित जल मीनारों की व्यवस्था कराई है, जिससे अब गांव के लोगों को साफ और सुगम तरीके से पानी उपलब्ध हो रहा है।
गांव में पानी की समस्या इतनी गंभीर थी कि गर्मियों के दिनों में चापाकल सूख जाते थे और ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं और बुजुर्गों को पानी लाने के लिए दूरदराज तक जाना पड़ता था। इस समस्या से निपटने के लिए मुखिया ने एक अनूठी पहल की और सौर ऊर्जा का उपयोग कर जल मीनार स्थापित किया।
सौर ऊर्जा से बदली गांव की तस्वीर
सौर ऊर्जा से संचालित इस जल मीनार के कारण अब गांव में बिना बिजली के भी 24 घंटे पानी की आपूर्ति संभव हो गई है। इस तकनीक ने ग्रामीणों की बिजली पर निर्भरता को कम कर दिया है और एक स्थायी समाधान प्रदान किया है। पानी की उपलब्धता से ग्रामीणों, खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को बड़ी राहत मिली है।
ग्रामीणों का उत्साह
गांव की महिलाओं ने बताया कि पहले पानी लाने के लिए उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। गर्मियों में चापाकल धीमी गति से पानी देते थे, जिससे काम और भी मुश्किल हो जाता था। लेकिन अब जल मीनार की वजह से यह समस्या दूर हो गई है। अब उन्हें पानी लाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।
मुखिया का विजन और भविष्य की योजनाएं
मुखिया स्वरूप दास ने कहा, “हमने यह सुनिश्चित किया है कि सौर ऊर्जा के उपयोग से ग्रामीणों को बिना किसी रुकावट के पानी मिले। भविष्य में हमारा लक्ष्य घर-घर नल की व्यवस्था करना है, ताकि किसी को भी पानी के लिए परेशानी न हो।”
सौर ऊर्जा से पर्यावरणीय लाभ
यह जल मीनार न केवल पानी की समस्या का समाधान कर रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रहा है। सौर ऊर्जा के उपयोग से बिजली की खपत में कमी आई है, जो एक पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सकारात्मक पहल है।
ग्रामीणों की नई उम्मीदें
मुखिया स्वरूप दास के प्रयासों से राधा गांव के लोग अब एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस पहल ने न केवल पानी की समस्या को हल किया है, बल्कि पूरे गांव को आत्मनिर्भरता और प्रगति की दिशा में प्रेरित किया है।
राधा गांव का यह उदाहरण बताता है कि सही योजना और प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। मुखिया के इस प्रयास को ग्रामीणों ने खूब सराहा है और इसे एक नई शुरुआत माना है।