झारखंड व पश्चिम बंगाल बॉर्डर के बीचों बीच स्थित दामोदर नदी पर बनी पंचेत डैम की हाइडल इकाई की नवीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। इसके लिए वर्तमान प्रबंधन ने ई-निविदा जारी कर दी है। बता दें कि हाइडल के यूनिट एक को पूर्ण रूप से नवीनीकरण व आधुनिकीकरण कर बदला जाना है। निविदा शर्तो के तहत टरबाइन और जनरेटर यूनिट के निर्माण, परीक्षण और कमीशनिंग के पर्यवेक्षण में यदि आउट-सोर्सिंग कंपनी हो तो उसके संचालन बोलीदाता को निर्माता से सहमति पत्र (एलओसी) ले कर जमा करना होगा । निविदा लेने वाले को गारंटी रकम ₹92,85,898 जमा करनी होगी। डीवीसी प्रबंधन के अनुसार टरबाइन को बदलने में 150 करोड़ का खर्च अनुमानित है।
चारों ओर से पहाड़ो व जंगलों से घिरे व पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र पंचेत बाँध का निर्माण देश की पहली बहुद्देश्यीय परियोजना ‘दामोदर घाटी निगम (DVC)’ के अंतर्गत हुआ था। यह बाँध झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर दामोदर नदी के ऊपर बना हुआ है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 6 दिसंबर 1959 को पंचेत हाइडल का उद्घाटन किया था। तब से आज तक 80(2×40) मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता रखने वाली इसकी दोनो मशीनें काम कर रही हैं। इतने सालों में इन मशीनों में काफी ह्रास आया है जिसके कारण इनकी उत्पादन क्षमता घटी है। इसी वजह से लंबे समय से हाइडल के यूनिट एक टरबाइन को बदलने की मांग भी की जा रही थी। डीवीसी की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब तक प्रबंधन मरम्मत कर ही काम चला रहा था । पंचेत डैम का इलाका झारखंड में है जबकि टरबाइन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में आता है।
पंचेत हाइडल प्रोजेक्ट से जुड़ी विचित्र घटना..
देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने डैम का उद्घाटन स्थानीय आदिवासी महिला बुधनी मझियाइन के हाथों कराया था। इसके बाद उन्होंने बुधनी को माला पहनाया। इससे बुधनी का पति नाराज हो गया। बुधनी को पीएम द्वारा माला पहना कर संथाल परंपरा का तिरस्कार किये जाने का हवाला दे कर कहा कि चूंकि नेहरू ने माला पहनाया है इसलिए अब वह नेहरू की पत्नी हो गई है। इस तरह पति ने बुधनी का परित्याग कर दिया। बुधनी को संथाल समाज ने गाँव से निकाल दिया साथ ही साथ डीवीसी ने भी काम से निष्काषित कर दिया। बाद में राजीव गाँधी ने बुधनी को डीवीसी में पुनःस्थापित कर दिया था।