मुख्यमंत्री अपनी नाकामियां छिपाने के लिए गरीबों की दुकान हटवा रहे : मेयर

मोरहाबादी में गोलीबारी की घटना के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए गरीबों की दुकान हटा रहे हैं। क्या शहर को अपराधमुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री की यही सोच है? शनिवार को ये बातें भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री सह मेयर डॉ. आशा लकड़ा ने कही। दरअसल, शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने मोरहाबादी में हुई गोलीबारी की घटना को लेकर नगर आयुक्त मुकेश कुमार को मोरहाबादी मैदान के इर्द-गिर्द लगने वाले ठेला-खोमचा व अस्थाई दुकानों को हटाने का निर्देश दिया था। इस आधार पर रांची नगर निगम की इन्फोर्समेंट टीम शनिवार की सुबह मोरहाबादी मैदान पहुंची और दुकानदारों को अपनी-अपनी हटाने का निर्देश दिया। साथ ही माइकिंग कर दुकानदारों को चेतावनी दी कि जो लोग अपनी दुकान नहीं हटाएंगे, उनके ठेला व गुमटी समेत सभी सामान जब्त कर लिए जाएंगे।

रांची नगर निगम के इस फरमान के बाद संबंधित दुकानदारों ने जमकर हंगामा किया। अपनी रोजी-रोटी की समस्या को लेकर वे मेयर डॉ. आशा लकड़ा के आवास पहुंचे और न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अपराधियों द्वारा की गई गोलीबारी की घटना की आड़ में राज्य सरकार उन्हें उजाड़ने का काम कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में गरीबों को उजाड़ने से पहले उन्हें बसाने की तैयारी की गई थी। परंतु मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गरीबों को उजाड़ने पर तुले हुए हैं। दुकानदारों की फरियाद सुनने के बाद मेयर ने कहा कि हाई सिक्योरिटी ज़ोन में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। खुफिया विभाग के अधिकारियों को हाई सिक्योरिटी जोन वाले इलाके की हर गतिविधि की जानकारी होनी चाहिए। खासकर जिस क्षेत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन का आवास है, वहां आपराधिक गतिविधि की सूचना नहीं होना और गोलीबारी की घटना के प्रति पुलिस-प्रशासन जिम्मेदार है न कि वहां के दुकानदार। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के अनुसार, अपराधी मोरहाबादी मैदान के इर्द-गिर्द लगाए जाने वाले दुकानों व सब्जी विक्रेताओं से रंगदारी वसूल करते हैं। क्या स्थानीय पुलिस-प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है।

मेयर ने कहा शहर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में पीसीआर वैन की व्यवस्था की गई थी। हाई सिक्योरिटी जोन में पीसीआर वैन के माध्यम से पुलिस पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई थी। परंतु हेमंत सोरेन की सरकार में यह व्यवस्था ध्वस्त हो गई। मोरहाबादी मैदान में जिस समय यह घटना घटी, उस समय संबंधित क्षेत्र की पीसीआर वैन कहां थी। पीसीआर के वैन के पुलिसकर्मी कहां थे। क्या हेमंत सोरेन की सरकार में पुलिसिया तंत्र पूरी तरह निष्क्रिय हो चुका है। राज्य सरकार को यह मंथन करने की आवश्यकता है कि हाई सिक्योरिटी जोन में अपराधियों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने का दुस्साहस कैसे किया। पुलिस-प्रशासन से किस स्तर पर चूक हुई। मेयर ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जिम्मे गृह मंत्रालय भी है। राज्य के 24 जिलों की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी उनके ऊपर है। परंतु वे अपनी जिम्मेदारी से न सिर्फ पीछे हट रहे हैं, बल्कि अपनी खामियों को छिपाने के लिए गरीब दुकानदारों को प्रताड़ित कर रहे हैं। यदि मोरहाबादी मैदान के इर्द-गिर्द आपराधिक तत्वों की अड्डेबाजी हो रही है तो इन दुकानदारों को किसी अन्य स्थल पर शिफ्ट करने की व्यवस्था की जाए। गरीब दुकानदारों को उजाड़ने से आपराधिक समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। जब तक अपराधियों के मन-मस्तिष्क में पुलिस का खौफ नहीं होगा, तब तक आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाना संभव नहीं होगा।