झारखण्ड के नये डीजीपी नीरज सिन्हा ने राज्य में लंबे समय से फाइलों में अटके केस की समीक्षा की | इस दौराननए पाया गया कि सबसे ज्यादा रांची में लंबित मामले हैं | वहीं इसके बाद हज़ारीबाग और धनबाद की बारी आती है|
डीजीपी नीरज सिन्हा ने बताया कि कई केस ऐसे हैं जिनमें पुलिसकर्मियों के तबादले के बाद उसे अनुसंधान के लिए नहीं सौंपा गया | जिले में ही एक थाने से दूसरे थाने में तबादले के बाद भी केस का प्रभार नहीं सौंपे जाने के कारण केस लंबित हुए हैं | उन्होंने बताया कि कई मामलों में पदाधिकारी की मौत हो जाने से भी जांच लंबित रह गये हैं |
डीजीपी ने सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी है कि उनके यहां कितने केस दस साल या उससे अधिक वक्त से अटके पड़े हैं | साथ ही केस के लंबित रहने की वजह व उसकी वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट भी मांगी गई है | इसी तरह पांच साल या उससे अधिक, तीन साल व उससे अधिक, दो साल व उससे अधिक समय से अटके केस की वर्तमान स्थिति जिलों से मांगी गई है | डीजीपी ने सभी क्षेत्रीय डीआईजी से यह भी जानकारी मांगी है कि जो केस लंबे समय से अटके पड़े हैं उनकी समीक्षा के दौरान डीआईजी स्तर के अधिकारियों ने क्या सबूत पाए हैं और क्या कुछ सुराग जुटाई गई है |
आपको बता दें कि डीजीपी ने सभी जिलों के एसपी से भी रिपोर्ट मांगी है कि लंबित केसो की समीक्षा एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर के द्वारा की जाती है या नहीं | उन्होंने पूछा है कि किसी केस के समीक्षा के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई या नहीं |