रांची: बीआइटी मेसरा के छात्र और एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड रांची में मैकेनिकल और आटोमेशन इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डा राहुल कुमार सिंह ने इनोवेशन कार्य कर जिले सहित पूरे राज्य का मान बढ़ाया है। दरअसल उन्हें साल 2022 में पोर्टेबल फुटब्रिज के लिए अंतर्राष्ट्रीय इनोवेशन पेटेंट प्रदान किया गया। डा राहुल का कहना है कि इंजीनियरिंग का उपयोग सभी के जीवन को बेहतर बनाने और अनुसंधान प्रमाणित और इनोवेटिव होना चाहिए। पोर्टेबल फुटब्रिज को डिजाइन करने में उन्हें करीबन 2 साल लगे। उनका यह इनोवेशन एक पोर्टेबल फुटब्रिज स्ट्रक्चर से संबंधित है जो आसानी से मूव, असेंबल और डिस्मेंटल हो सकता है।
जिले का सिर फर्क से हुआ ऊंचा..
बता दें कि डा राहुल सेल सिटी रांची में रहते हैं। जिनपफ पूरा रांची गर्व महसूस कर रहा है। वहीं डा राहुल ने बताया कि पेटेंट किए गए पोर्टेबल फुटब्रिज का उपयोग सैन्य अभियानों, आपदा प्रबंधन, क्षतिग्रस्त पुल के विकल्प आदि के रूप में किया जा सकता है। साथ ही इसका उपयोग जंगलों, ग्रामीण क्षेत्रों और पहाड़ी क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
पुल का विकल्प..
वहीं एक स्थाई पुल का निर्माण काफी महंगा, समय, जनशक्ति और आवधिक रखरखाव लेने वाला होता है। जिसके उपाय के तहत डा राहुल ने कम दूरी के लिए स्थाई पुल का विकल्प खोज लिया है। उन्होंने पोर्टेबल फुटब्रिज को ऐसे डिजाइन किया है जिसे कम से कम आत्म-वजन के साथ अधिकतम शक्ति प्रदान की जा सके। वहीं पोर्टेबल फुटब्रिज के प्रत्येक माड्यूल में करीबन 100-120 किलोग्राम भार उठाने की क्षमता के साथ 1.5 मीटर लंबी और 0.5 मीटर चौड़ाई के आयाम हैं।
पोर्टेबल फुटब्रिज के अनेक फायदे..
बता दें कि पोर्टेबल फुटब्रिज में आयताकार स्पैन वाले 2 से 3 माड्यूल होते हैं। साथ ही इसे डिस्मेंटल करने के बाद आसानी से आवाजाही के लिए पहिए भी लगे होते हैं। इसका उपयोग करने के अनेक फायदे हैं। यह डिजाइन में काम्पैक्ट है- कम आत्म-वजन, कम निर्माण समय, पर्यावरण के अनुकूल और इसे बनाने में लागत भी बहुत कम लगती है।