हजारीबाग के संत कोलंबा कॉलेज के प्राचार्य सुशील टोप्पो पर दो वर्ष पूर्व लगे वित्तीय अनियमितता का आरोप सही पाया गया। तत्कालीन अभिषद के सदस्य अमरदीप यादव द्वारा उन पर 57 लाख के वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया था। उनका कहना था की प्राचार्य ने एक अलग खाता खोल कर विभावि से विकास के लिए आने वाले पैसों का गबन किया। अमरदीप यादव द्वारा प्राचार्य पर आरोप लगाए जाने के बाद तत्कालीन कुलपति डॉ रमेश शरण ने 2017 में एक समिति बनायी। इस समिति में अमरदीप यादव ने बतौर सदस्य अभिषद की बैठक में घपले का साक्ष्य दे कर कार्यवाही की मांग की।
दो साल की लंबी जांच के बाद , फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में समिति ने जांच की रिपोर्ट सौंपी। विस्तृत समालोचना के बाद मंगलवार को समिति ने प्राचार्य को निलंबित कर डॉ जेसी दस को प्रभार दिया। निलंबन के दौरान संत कोलम्बा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य विभावि मुख्यालय में योगदान देंगे। आपको बता दें की जांच समिति का गठन उप कुलपति डॉ कुनीर कुण्डिल के मार्गदर्शन से हुआ था।
सुशील टोप्पो पर लगे आरोपों की जांच से ये भी पता चला है की परिसर में संचालित अन्य संस्थान जैसे डाकघर, कॉलेज कैंटीन बैंक इत्यादि से मिलने वाला किराया भी वे अपने द्वारा खोले गए खाते में जमा करवाते थे। यही नहीं, सुशील टोप्पो बिना कार्यदिशा के संतोष कुमार सिंह नमक ठेकेदर को 22 लाख रुपये का काम देने का भी आरोप लगा था। जिसके बाद तत्कालीन कुलपति डॉ रमेश शरण ने पूर्व प्राचार्य की वित्तीय शक्ति सीज़ करते हुए जांच समिति का गठन किया था।