प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात संवाद की 101वीं कड़ी पेश की। इस बार मन की बात में प्रधानमंत्री ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की बात की और कहा की इसके लिए आने वाले 25 वर्ष काफ़ी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने साथ में यह भी कहा की आप सब की भागीदारी ही इस कार्यक्रम कि असली सफलता है। मन की बात से सब लोग एक सूत्र से जुड़े हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी में खेती, जल संरंगशन और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में उत्तम काम करने वालों का भी ज़िक्र किया। इस दौरान उन्होंने सबसे ज़्यादा ज़ोर जल संरक्षण पर दिया।
मन की बात की 101वीं कड़ी के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वीर सावरकर को भी याद किया। उन्होंने कहा कि सावरकर के साहस एवं संकल्प शक्ति से जुड़ी कहानियाँ उन्हें आज भी प्रेरित करती हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अंडमान में उस कोठरी को देखा है जहां सावरकर ने कलपनी की सज़ा काटी थी। सावरकर का व्यक्तित्व द्रणता और स्वाभिमान से भरा था जिससे उन्हें ग़ुलामी रास नहीं आती थी। आज़ादी की लड़ाई के साथ साथ वैर सावरकर ने समाज में समानता और सामाजिक न्याय के लिए जितना किया उसे हमेशा याद रखा जाना चाहिए।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने संत कबीरदास को भी याद किया जिनकी जयंती 4 जून को है। उन्होंने कहा कि संत कबीरदास ने समाज को बाँटने वाली हर कुप्रथा का खुलकर विरोध किया और लोगों को जागृत किया। समाज को सशक्त करने के लिए हमें संत कबीरदार से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने प्रयासों को और बढ़ाना चाहिए।
मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री ने खूँटी में चल रहे जल संरक्षण के लिए पिछले तीन वर्षों से बनाए जा रहे बोरी बांध पर चर्चा करते हुए उसकी तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक महत्वपूर्ण कार्य झारखंड के खूँटी में ही चल रहा है। खूँटी के लोगों को पानी की समस्या से निपटने के लिए ही बोरी बांध का रास्ता निकाला गया है। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जनभागीदारी का प्रयास कई बदलावों के साथ आता है और खूँटी इसका जीता जागता उदाहरण है। उन्होंने आगे क्षेत्र की महिलाओं कि सराहना करते हुए कहा कि बांध बनाने के दौरान महिलाएँ निर्माण स्थल पर भोजन तैयार करती हैं। भोजन बनाकर जब लोग थक हार जाते हैं तो साथ बैठ कर ख़ाना खाते हैं।